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25 Oct 2021 · 1 min read

” सकारात्मक सोच “

डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
=============

नकारात्मक
चिंतन से
हम स्तब्ध
हो जाते हैं !
शिथिलता ,
बोझिलता
हमारे चेहरे
पे दीखते हैं !!

हम मानते हैं
कि यह भी
एक सिक्के
का भाग है !
पर विभस्त
दुखदायी फन
फैलाये यह
विषैला नाग है !!

सकारात्मक
सोच हमें दिव्य
लगता है !
सारा ब्रमांड
हमारे करीब
रहता है !

चेहरे पे
कभी
सिकुड़न
नहीं आती है !
हंसी से
सारी दुनियाँ
खिलखिलाती है !!

============

डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
दुमका

Language: Hindi
328 Views
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