Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Jun 2017 · 5 min read

संस्मरण-“प्यारा डोलू”

“प्यारा डोलू”

जब से मैंने होश संभाला है,तब से मैं अपने घर में गाय, कबूतर,तोता,कुत्ता आदि जानवरों कॉ घर के सदस्य की तरह देखा है। मेरे घर के सभी लोग पशु-प्रेमी है,उन्हें घर के सदस्य की तरह रखते है। गाय तो हमारे घर में शुरू से ही थी,जिनकी देखभाल मेरे दादा,पापा और घर के सभी लोग करते है,मेरे भैया को कुत्ता पालने का शौक था,उन्होंने एक कुत्ता पाला था जिसका नाम ‘टाइगर’ रखा था,वे उसे साबुन और शैम्पू से नहलाते थे,उसे बिस्कुट खिलाते थे, पर एक दिन अचानक तेज़ बारिश शुरू हो गई, उसी समय जोरदार बिजली चमका और टाइगर उसकी चपेट में आ गया और उसकी मौत ही गयी। इस तरह के कई किस्से है हमारे घर और जानवरों के बीच ।
मैंने तो अपने घर में अब तक गायों की तीन पीढ़ी देखी है पर ‘डोलू’ की बात ही कुछ और है। डोलू का जन्म 7 दिसम्बर 2010 को हुआ, गाय के बछड़े को देखकर मैं बहुत खुश हुआ। हम सभी भाई-बहन उसके साथ खेलते,हम उसे प्यार से,’भुटुकुली’ तो कभी ‘डोलू’ कहते थे। डोलू हमेशा अपनी माँ के पास ही रहता था,जब पापा गाय का दूध निकालते तब में डोलू को पकड़कर रखता था,इसी तरह हम दिन भर मस्ती करते थे। डोलू को ठंड से बचाने के लिए हम उसे बोरे और पुराने चादर से ढक देते थे। डोलू के जन्म के 22 दिन बाद ही उसकी माँ की तबीयत खराब हो गई , पापा ने शाम में डॉक्टर को बुलाया ,डॉक्टर ने गाय को सूई दिया और कहा अगर 8 घंटे के अंदर सूई का असर हुआ तो वह बच जायेगी, हमलोग उसके ठीक होने का इंतज़ार करने लगे,रात में गाय के पास बोरसी रखी गई, काफी रात हो गयी थी इसलिए मैं सोने चला गया, अगली सुबह उठा तो देखा डोलू की माँ अब इस दुनिया में नहीँ रही। हम डोलू को उसकी माँ के पास नही ले गए, 9 बजे कुछ लोग आये और उसकी माँ को दफ़नाने के लिए ले गए।।
मेरी मंझली दीदी को जानवरों से बहुत लगाव था, मेरी दीदी ने डोलू को बोतल से दूध पिलाई,डोलू छोटा था इसीलिए वह अच्छे से दूध नहीँ पी सक रहा था,फिर भी किसी तरह दीदी ने उसे पिलाया, फिर दीदी ने उसे घर के पीछे खुले जगह पर ले गयी जहाँ उसकी माँ ने अंतिम सांस ली थी,डोलू की नज़रे अपनी माँ को खोज रही थी,वह इधर-उधर दौड़ कर अपनी माँ को ढूंढ रहा था,यह दृश्य देखकर मेरी आँखे भर आयी। जहाँ उसकी माँ ने आखरी सांस ली थी,डोलू वहाँ जा कर वहां की मिट्टी चाटने लगा। एक बछड़े और उसकी माँ के प्रेम का यह दृश्य आज भी मेरे दिल को झकझोर देता है।
उसकी माँ की मौत के बाद मेरी दीदी ही उसको माँ बन गई थी, वह रोज सुबह उसके पास जाती,उसके कोमल शरीर पर हाथ रखकर प्यार से सहलाती ,डोलू भी प्यार से मेरी दीदी के हांथो को चाटता था। दीदी रोज उसे बोतल से दूध पिलाती,उसे बारली खिलाती,उसको कंघी करती थी,उसे नहलाती थी,मेरी दीदी का यह दिनचर्या बन चुका था,वह अधिक से अधिक समय डोलू के साथ ही बिताती थी । एक दिन की बात है दूध के बोतल का निप्पल फट गया था,उस दिन बारिश भी हो रही थी,सुबह-सुबह दीदी ने मुझे उठाया और तेज बारिश में ही निप्पल लाने को भेज दी,जब तक मैं निप्पल ले कर नही आया तब तक दीदी ने कुछ नही खाया ।
डोलू भी अब हमलोगों के साथ मिलजुल गया था,अब तो वह अपनी माँ को भी नहीँ ढूंढता था,हम उसे कभी अकेला नहीँ छोड़ते थे,जब हम टीवी देखते थे तब वो भी पलंग के बगल में जमीन पर बैठकर टीवी देखता था,मेरी माँ जब भजन सुनती थी तो वो भी भजन सुनता था । घर में खाने के लिए कुछ भी अच्छा चीज आता तो दीदी उसे भी खिलाती थी,वो हमारे घर का एक अभिन्न सदस्य बन चुका था। मेरी माँ जब पूजा करती ,तो पहले उसे ही प्रसाद खिलाती थी ,डोलू ने चारों धाम का प्रसाद खाया था,उसे इतना प्यार मिला जितना दूसरे जानवरो को नही मिला होगा । हमने उसे कभी माँ की कमी महसूस होने नहीँ दी ।
डोलू जब बड़ा हुआ तो घास खिलाने के लिए पापा उसे खेत मे छोड़ आते थे,वह खेत में घास के साथ-साथ वहाँ पड़ी पॉलिथीन की भी खा लेता था,उसका यही दिनचर्या बन गया था । जब वो घास खाकर आता ,तब दीदी उसको कंघी करती,वो भी प्यार से सिर हिलाता । डोलू की एक अजीब आदत थी जब वो किसी साड़ी पहनी औरत को देखता तो वो उसे मारने दौड़ता,उसने मेरी माँ को भी कई बार मारा था,मुझे यह पता नही चला की वह प्यार से इस तरह करता था या गुस्से में ।
2014 में वह चार साल का हो गया पर यह साल उसके और हमारे लिए बहुत ही ख़राब रहा,2014 का अंत बहुत ही दुखद हुआ,29 दिसम्बर को डोलू का तबियत खराब हो गया ,उसका पेट टाइट हो गया था,उस दिन पापा भी घर पर नही थे,हमलोगों ने सोचा अगले दिन जब पापा आ जायेंगे तब डॉक्टर को दिखा देंगे, पर हमें नहीँ मालूम था कि डोलू के लिए अगली सुबह नहीँ होगी ,सुबह जब मैं उठा तो माँ ने बताया हमारा डोलू अब इस दुनिया में नहीँ रहा,माँ की ये बातें सुनकर डोलू के जन्म से लेकर उसके बड़े होने तक की तस्वीरें मेरी नजरो के सामने घूमने लगी और आँखों से आँसू बहने लगे, दीदी को तो जैसे सदमा ही लग गया था वे रोये ही जा रही थी और डोलू को उठने के लिए कह रही थी ,वह दृश्य देखने की शक्ति मुझमे नहीँ थी इसीलिए मैं वहाँ से चला गया । जो लोग डोलू को ले जाने के लिए आये थे उन्होंने बताया कि डोलू के पेट में पॉलिथीन जमा हो गया था इसीलिए उसकी मौत हुई । उस दिन हमारे घर में खाना भी नहीँ बना था,मेरी दीदी तो डोलू की याद में बहुत दिनों तक उदास रही, आज भी हमसब उसको याद करते है,उसने अपने छोटे से जीवनकाल में हमे बहुत सिखा दिया था ।
*********************************************************************************************
यह एक सच्ची घटना जो 2010 से 2014 के बीच मेरे घर में घटीं है ,इसमें कुछ भी कल्पिनक नहीँ है, मैंने इस सच्ची घटना को एक कहानी का रूप दे दिया है ।
( इस घटना/कहानी के माध्यम से मैं यह बताना चाहता हूँ कि आज हम पढ़-लिखकर भी मूर्ख है,लोग जहाँ-तहाँ पॉलिथीन फेंक देते है, ये भी नहीँ सोचते के उन बेजुबान जानवरो पर क्या बीतती होगी । )

पियुष राज, दुधानी, दुमका ।
मो-9771692835 10/09/2016

Language: Hindi
566 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*सियासत हो गई अब सिर्फ, कारोबार की बातें (हिंदी गजल/गीतिका)*
*सियासत हो गई अब सिर्फ, कारोबार की बातें (हिंदी गजल/गीतिका)*
Ravi Prakash
एक दिन जब न रूप होगा,न धन, न बल,
एक दिन जब न रूप होगा,न धन, न बल,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
बेरहमी
बेरहमी
Dr. Kishan tandon kranti
मंगलमय हो नववर्ष सखे आ रहे अवध में रघुराई।
मंगलमय हो नववर्ष सखे आ रहे अवध में रघुराई।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
रिश्तों की कसौटी
रिश्तों की कसौटी
VINOD CHAUHAN
" शांत शालीन जैसलमेर "
Dr Meenu Poonia
रक्षाबंधन
रक्षाबंधन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
"रातरानी"
Ekta chitrangini
किन्तु क्या संयोग ऐसा; आज तक मन मिल न पाया?
किन्तु क्या संयोग ऐसा; आज तक मन मिल न पाया?
संजीव शुक्ल 'सचिन'
हाइकु- शरद पूर्णिमा
हाइकु- शरद पूर्णिमा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
‌एक सच्ची बात जो हर कोई जनता है लेकिन........
‌एक सच्ची बात जो हर कोई जनता है लेकिन........
Rituraj shivem verma
💐प्रेम कौतुक-341💐
💐प्रेम कौतुक-341💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
दुल्हन एक रात की
दुल्हन एक रात की
Neeraj Agarwal
कर बैठे कुछ और हम
कर बैठे कुछ और हम
Basant Bhagawan Roy
आज और कल
आज और कल
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
उतर जाती है पटरी से जब रिश्तों की रेल
उतर जाती है पटरी से जब रिश्तों की रेल
हरवंश हृदय
■ आज का शेर...।
■ आज का शेर...।
*Author प्रणय प्रभात*
"राज़-ए-इश्क़" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
स्त्रीत्व समग्रता की निशानी है।
स्त्रीत्व समग्रता की निशानी है।
Manisha Manjari
पता नहीं था शायद
पता नहीं था शायद
Pratibha Pandey
प्रार्थना के स्वर
प्रार्थना के स्वर
Suryakant Dwivedi
23/57.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/57.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बसंत
बसंत
Bodhisatva kastooriya
जीवन एक मैराथन है ।
जीवन एक मैराथन है ।
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
शून्य से अनन्त
शून्य से अनन्त
The_dk_poetry
मेरे होंठों पर
मेरे होंठों पर
Surinder blackpen
बहुत नफा हुआ उसके जाने से मेरा।
बहुत नफा हुआ उसके जाने से मेरा।
शिव प्रताप लोधी
पढ़ने की रंगीन कला / MUSAFIR BAITHA
पढ़ने की रंगीन कला / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
आलेख - मित्रता की नींव
आलेख - मित्रता की नींव
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
प्रकृति को त्यागकर, खंडहरों में खो गए!
प्रकृति को त्यागकर, खंडहरों में खो गए!
विमला महरिया मौज
Loading...