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27 Mar 2021 · 3 min read

संस्कार

अच्छे संस्कार जीवन को जहाँ ऊचाईयों की बुलंदी पर पहुंचाते है वहीं संस्कारविहिन व्यक्ति परिवार समाज और देश पर बोझ स्वरूप होता है ।
एक सेठ जी ने जीवन में बहुत धन कमाया , यह सोच कर कि यह रूपया पैसा धन सब उसके बच्चों के काम आयेगा , धन कमाने के चक्कर मे उसने बच्चों की पढ़ाई , अच्छी परवरिश और अच्छे संस्कार देने पर ध्यान नहीं दिया, यही हाल उसकी पत्नी का भी था , इससे बच्चों के दिमाग में बचपन से ही यह बात घर कर गयी कि उसके पिता के पास बहुत पैसा है और उनके बाद यह सब उसे ही मिलना है, इसलिए वह घमंडी और जिद्दी हो गये । उनसे संस्कार दूर हो गये ।
वहीं सेठ जी के यहाँ एक नौकर भी काम करता था, वह गरीब जरूर था पर वह और उसकी पत्नी बच्चों पर पूरा ध्यान देती थी, वह बच्चो के साथ समय बिताते, अच्छी बाते समझाते इससे वह नम्र और संस्कारवान बच्चे हो गये ।
बडों की इज्जत करना , उनका कहना मानना, ईमानदारी, मेहनतकश होना यही गुण उनमें कूट कूट कर भरे थे ।

दोनों के बच्चे बड़े हुए । सेठ जी बच्चे पिता के पैसों पर बुरी आदतों में पड़ गये और पैसा बरबाद करने के बाद सेठ जी का जीना मुश्किल कर दिया ।

इसलिए यह जरूरी है कि बच्चों को बचपन से ही अच्छे संस्कार दिये जाये । कहते है बच्चों की पहली पाठशाला उनका घर होता है और अध्यापक माता पिता, बच्चे नर्म डाली की तरह होते हैं उन्हें जिधर हम मोडेंगे वह मुड़ जायेंगे ।

इसलिए जरूरी है कि बच्चों के साथ माता पिता दादा दादी बुआ समय बिताये, इसी कारण संयुक्त परिवार का भारतीय समाज में महत्व है ।

आजकल बच्चें अपना बचपन मोबाइल, लेपटाप, टी वी पर बिताते हैं , बाहर की दुनिया से बेख़बर रहते हैं और जो वह देखते हैं उनके मन-मस्तिष्क पर वैसा ही प्रभाव पड़ता है , वह उद्दंड हो जाते हैं और अच्छे संस्कारों से दूर हो जाते हैं, जिसका खामियाज़ा उनके माता पिता भोगते हैं

इन्ही कारणों से परिवार को समाज में बदनामी झेलनी पड़ती है ।
बुढ़ापे में बच्चे माता पिता को असहाय छोड़ देते हैं जो कदापि उचित नहीं है ।

जीवन में धन दौलत से ज्यादा महत्वपूर्ण बच्चों में अच्छे संस्कार होना है ।
कहा भी जाता है :
“पूत सपूत तो क्यों धन संचय
पूत कुपूत तो क्यो धन संचय”

याने अगर संतान संस्कारवान है तो वह अपनी ईमानदारी , लगन मेहनत से पैसा करायेगी और अगर संतान संस्कारविहिन है तो वह पिता की कमाई को बुरे कामों बर्बाद कर देगी और परिवार की बदनामी भी होगी ।

इसलिए मानव जीवन में संस्कारों का बहुत महत्व है और यह संस्कार हमेशा जीवन की अनमोल धरोहर होते हैं ।

संस्कारवान व्यक्ति हमेशा अपने ईमान, सिध्दांतों पर कायम रहता है, वह क्षणिक लाभ के लिए अपने सिध्दांतों को छोड़ता नहीं है ।

वर्तमान समय संवेदनशील है, इसलिए बच्चों को अच्छे संस्कार देने के लिए सजग रहना चाहिए और यथासंभव बच्चों को भारतीय संस्कृति, आचार विचार और संस्कारों में ढालना समसामयिक होगा ।

लेखक
संतोष श्रीवास्तव

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Comment · 600 Views
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