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7 Feb 2017 · 2 min read

संसद की मर्यादा भूल गए

कुछ दिनों से जो घटना हमारे देश के सब से स्वच्छ छवि वाले संसद में घटी हो रही हैं, वो बेहद शर्मनाक हैं, इतनी की जैसे देख कर यह लगता है सरे राह चलते चलते कोई किसी के साथ भी बदतमीजी कर देता है, और वो निहाथा कुछ भी नहीं कर सकता है, कोई मिर्ची का स्प्रे कर रहा है, कोई कपडे उतार रहा है, कोई जूता मार रहा है, कोई बिजली गूल कर रहा है, कोई माईक उठा कर मार रहा है, कोई मेज और कुर्सी फेंक कर अपनी भडास उतार रहा है, यह सब भारत देश के संसद में घटित होता देख कर सर शर्मसार हो रहा है, वो सांसद जिन को अपना उतराधिकारी बना कर जनता सर आँखों पर बिठा कर, अपना नेत्रत्व इन के हाथ में सौंपती है, ताकि यह वाद विवाद से हमारी समस्याओं का समाधान कर सके, परंतू, यह दिग्गज संसद को रन भूमि बना रहे हैं, जिस का जो दिल कर रहा है वो कर रहा है, कोई ऐसी फिल्म देख रहा है, जो सिनेमा हाल में भी लोग बाख कर देखते नजर आते हैं, जिन को संसद को चलने का भार दिया गया है, वो भी खुद इन से परेशान हैं, की किस परकार सब रोका जाये, कुछ समझ नहीं आ रहा की इन सब गति विधिओं को कैसे रोका जाये, क्या यहाँ पर भी राष्टपति शासन , या इमरजेंसी की सख्त आवश्यकता है, क्या यहाँ पर भी मिलिट्री का मार्च पास्ट करना पड़ेगा, कौन सा ऐसा जरिया लागू किया जाये, जिस से यह शर्मसार करने वाली घटनाये न पन पें,..देश भर तो क्या विदेश तक में कैसा सन्देश जा रहा है, शायद इन सांसदों को इस बात का आभास नहीं हो रहा है, किसी भी तरह का दवाब बना कर अपनी बात को मनवा लेना यह कहाँ तक संसद की मर्यादा का भला कर रहा है, इस से तो अच्छा है की..आप खुल कर मैदान में आकर एक दुसरे पर वार करो, जो बच जायेगा वो अपने आप सारे अधिनियम लागू करवा लेगा …सोचो कुछ सोचो, की आप यहाँ क्या करने आये हैं, और क्या कर रहे हैं, यह देश वीरों का है, इस को इस तरहं से लज्जित न करो, और संसद की मर्यादा में रहकर उसका पालन करते हुए, अपनी बात को रखो.

कवि अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Comment · 238 Views
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