संबंध
संबंधों की परिभाषाओं के अब मोल नहीं होते,
मीठे स्वरों की बोली में अब वो रसघोल नहीं होते।
जाने कैसी हवा बह रही हर संबंध हुआ फीका,
ऐसा हाल रहा तो फिर संबंधों का क्या होगा? ✍सुधीरश्रीवास्तव