संपनो को दिल मे रखता संजोता हूं।
अपने अनुभव अनुभूति को शब्द मे पिरोता हूं
कल्पना मे घूमकर अपने मे खोता हूं।
गिर गिरकर सम्भलता पर चलता रहा हूं
संपनो को सचकरने मे दिन रात नही सोता हूं।
असफलता मित्र बन आ ही जाती पर
संपनो को दिल मे रखता संजोता हूं।