संध्या सुन्दरी .. २ / १०
संध्या है, छाँव है ( २ / १०)
संध्या है, छाँव है l
प्रीत का पड़ाव है ll
उमडी उमंग है l
मन मन मृदंग है l
तन तन पतंग है l
नृत्य संग संग है l
प्रणय के ढंग ढंग है l
प्रीत के रस रंग है l
प्रीत के प्रसंग है l
परम जीवन जंग है l
जीवन का जमाव है ll
संध्या है, छाँव है l
प्रीत का पड़ाव है ll
अरविन्द व्यास “प्यास”