संध्या काल
संध्या काल
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अस्तांचल गामी हुआ
सूरज आज की शाम,
क्षितिज हवाले कर गया
चन्द्र देव के नाम।
गर्मी – धूप से अब मिला
तनिक हमें आराम,
निकल पड़े परिवार संग
छोड़ – छाड़ सब काम।
मात पिता संग बच्चों का
गिनती देखो तीन,
ऐसा लगता है जैसे
छुट्टी का यह दिन।
शाम सुहानी निरख रहे
जां मे आई जान
किन्तु जीवन से हुआ
एक दिन का अवसान।
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✍ ✍ पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण
बिहार
#नमन_साहित्य_सागर