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7 Sep 2021 · 1 min read

संत कबीर

………..गीत
महान कवि कबीर दास
=======.=====.====
आडंबर पर तुम थे भारी ।
ये सारा जग है आभारी ।।
तुमने बड़ी सोच समझ से,
खूब चलाई ज्ञान की आरी ।
एक- एक शब्द सच में डूबा,
जो भी मुंह से बात निकाली।।
ना तुम हिंदू – ना हो मुस्लमां,
तुम थे मानवता के पुजारी ।
कंकर- पत्थर बस है पत्थर,
इनमें नहीं कोई चमत्कारी ।।
ना मस्जिद में बैठा अल्लाह,
ये सब है बस हल्लाधारी ।
गुरु रुप सब रुप से ऊपर ,
सामने बेशक हो करतारी।।
बुराई ना ढूंढो घर के बाहर ,
स्वयं में छुपी है ये बीमारी ।
रविदास संग घणी मित्रता ,
खूब रहे तुम आज्ञाकारी ।।
डरे नहीं तुम सच कहने से,
रोज डराते व्यभिचारी ।
कबीर दास नहीं दास किसी के,
चाहे परचम हो सरकारी।।
सच से ऊपर कुछ नहीं सूझा,
पाखंडवाद की सूरत काली ।
“सागर” नमन इस दिव्य पुरुष को,
ज्ञान की जिसने खोज निकाली।।
=================
जनकवि /बेखौफ शायर
डॉ. नरेश कुमार “सागर”
ग्राम- मुरादपुर ,सागर कॉलोनी, जिला- हापुड़, उत्तर प्रदेश
इंटरनेशनल साहित्य अवार्ड से सम्मानित

Language: Hindi
375 Views
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