संजोए स्वप्न थे मैंने ——- —- बना लूंगा !!!
संजोए स्वप्न थे मैंने ,तुझे मैं अपना बना लूंगा।
मिलेगा प्यार मुझको भी, प्यार में तुझको भी दूंगा।
समय में खेल था खेला ,रह गया मैं तो अकेला,
बदल ली राह तूने जो, नया पथ मैं भी चुन लूंगा।।
कैसे यह हो गया साथी, कभी ना ऐसा सोचा था।
तवज्जो दी तूने धन को, मैं निर्धन को ही पा लूंगा।।
दगा देना न फितरत है, सगा तुझको तो माना था।
भरोसा तोड़ा है तूने, स्वप्न फिर नव मैं सजा लूंगा।।
अनुनय चोट खाया हूं ,सोच अब नई मै लाया हूं।
दूंगा दिल बाद में उनको, इम्तिहान पहले मैं लूंगा।।
प्यार की राहों में प्यारों ,संभल कर तुम भी चल लेना।
मांगोगे गर् सलाह मुझसे, मशवरा यही तुमको मै दूंगा।।
राजेश व्यास अनुनय