Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Aug 2019 · 1 min read

श्रेष्ठ मानव कहलाएगा

श्रेष्ठ मानव कहलाएगा
~~~~~~~~~~~~~
(1)
मानव को मानव से उपकार करेगा,
वहीं इंसानों का भगवान कहलाएगा।
न्योछावर कर दूसरों के लिए जिएगा,
अनूठा प्रेम की संग्रह कर पाएगा।।
(2)
हृदय जितना विशाल होगा,
वीरता की उतना मिशाल बनेगा ।
उपकार कर्म से जीवन सजेगा,
खुशियों की बगिया और महकेगा।।
(3)
शोषित पीड़ित वंचित को,
मौलिक अधिकार दिलाएगा।
अन्याय के अंधियारों में ,
न्याय का दीपक जलाएगा ।

(4)
देख कष्ट दूसरों का भला,
अविरल अश्रु बहायेगा ।
आत्मविजेता बनकर वहीं,
श्रेष्ठ मानव कहलाएगा।
~~~~~~~~~~~~~~~
कवि डीजेन्द्र क़ुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभवना,बिलाईगढ़,बलौदाबाजार(छ.ग.)
मो. ‌8120587822

Language: Hindi
1 Like · 422 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कृपाण घनाक्षरी....
कृपाण घनाक्षरी....
डॉ.सीमा अग्रवाल
সেই আপেল
সেই আপেল
Otteri Selvakumar
దేవత స్వరూపం గో మాత
దేవత స్వరూపం గో మాత
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
*मिट्टी की वेदना*
*मिट्टी की वेदना*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सत्य कर्म की सीढ़ी चढ़कर,बिना किसी को कष्ट दिए जो सफलता प्रा
सत्य कर्म की सीढ़ी चढ़कर,बिना किसी को कष्ट दिए जो सफलता प्रा
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
वीरगति
वीरगति
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
मॉडर्न किसान
मॉडर्न किसान
Dr. Pradeep Kumar Sharma
दोस्त मेरे यार तेरी दोस्ती का आभार
दोस्त मेरे यार तेरी दोस्ती का आभार
Anil chobisa
रही सोच जिसकी
रही सोच जिसकी
Dr fauzia Naseem shad
सवाल
सवाल
Manisha Manjari
सियासत नहीं रही अब शरीफों का काम ।
सियासत नहीं रही अब शरीफों का काम ।
ओनिका सेतिया 'अनु '
"परिवर्तन के कारक"
Dr. Kishan tandon kranti
हमने देखा है हिमालय को टूटते
हमने देखा है हिमालय को टूटते
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
‌!! फूलों सा कोमल बनकर !!
‌!! फूलों सा कोमल बनकर !!
Chunnu Lal Gupta
कहा तुमने कभी देखो प्रेम  तुमसे ही है जाना
कहा तुमने कभी देखो प्रेम तुमसे ही है जाना
Ranjana Verma
*बुरा न मानो होली है 【बाल कविता 】*
*बुरा न मानो होली है 【बाल कविता 】*
Ravi Prakash
मैं और तुम-कविता
मैं और तुम-कविता
Shyam Pandey
मैं जान लेना चाहता हूँ
मैं जान लेना चाहता हूँ
Ajeet Malviya Lalit
3236.*पूर्णिका*
3236.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मिले हम तुझसे
मिले हम तुझसे
Seema gupta,Alwar
" बोलती आँखें सदा "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
■ आज तक की गणना के अनुसार।
■ आज तक की गणना के अनुसार।
*Author प्रणय प्रभात*
हे मानव! प्रकृति
हे मानव! प्रकृति
साहित्य गौरव
कुछ लोगो के लिए आप महत्वपूर्ण नही है
कुछ लोगो के लिए आप महत्वपूर्ण नही है
पूर्वार्थ
दूसरे दर्जे का आदमी
दूसरे दर्जे का आदमी
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
थी हवा ख़ुश्क पर नहीं सूखे - संदीप ठाकुर
थी हवा ख़ुश्क पर नहीं सूखे - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
हाथ में कलम और मन में ख्याल
हाथ में कलम और मन में ख्याल
Sonu sugandh
मोहब्बत मुकम्मल हो ये ज़रूरी तो नहीं...!!!!
मोहब्बत मुकम्मल हो ये ज़रूरी तो नहीं...!!!!
Jyoti Khari
बाजार से सब कुछ मिल जाता है,
बाजार से सब कुछ मिल जाता है,
Shubham Pandey (S P)
सभी फैसले अपने नहीं होते,
सभी फैसले अपने नहीं होते,
शेखर सिंह
Loading...