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18 Oct 2016 · 1 min read

श्री हनुमत् कथा भाग-6

श्री हनुमत् कथा , भाग -6
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हनुमानजी अयोध्या से अन्तर्ध्यान गुरु सूर्य देव को दिये गये वचन के अनुसार सुग्रीव की रक्षा करने के लिए शीघ्र ही किष्किन्धा पहुँच गये ।
बाली और सुग्रीव में शत्रुता बढी हुई थी क्योंकि बाली ने सुग्रीव की पत्नी तथा राज्य को छीन लिया था जिससे डरकर सुग्रीव ऋष्यमूक पर्वत पर चला गया ।
उसी पर्वत के निकट सीता जी को खोजते हुए भगवान श्री राम एवं लक्ष्मण जी पहुँच गये जिन्हें देखकर सुग्रीव यह सोचकर डर गया कि कहीं उन्हें बाली ने उसका वध करने के लिए तो नहीं भेजा है । इसका पता लगाने के लिए उसने हनुमानजी को ब्राह्मण के भेष में भेजा । हनुमानजी ने श्री राम -लक्ष्मण को दण्डवत् प्रणाम करके संस्कृतयुक्त वाणी में उनका परिचय प्राप्त किया और अपने कन्धों पर बैठाकर सुग्रीव के पास ले गये तथा अग्नि को साक्षी मानकर उनकी मित्रता कराई । श्री राम के द्वारा बाली बध कराकरके सुग्रीव की आज्ञानुसार सीता जी की खोज करने के लिए बानरों के साथ चल दिये । हनुमानजी की बुद्धि – चातुर्य एवं अपने प्रति भक्ति देखकर चलते समय श्री राम ने पहचान स्वरूप सीता जी की चूड़ामड़ि प्रदान की । बन्दर – भालू सभी दिशाओं में सीता जी खोज करने लगे ।
प्रस्तुतकर्ता :- डाँ तेज स्वरूप भारद्वाज
बोलो श्री रामभक्त हनुमन्त लाल की जय

Language: Hindi
233 Views
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