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15 Nov 2020 · 2 min read

श्री चित्रगुप्त कथा

दीपावली और यमद्वितीया की शुभकामनायें…..

कलम का महत्व
चित्रगुप्त कथा
***************
कर लंका को विजय राम जी अवध पधारे ।
राज तिलक को जुटे नगर के वासी सारे।

कहा भरत ने अब किंचित न देर लगाओ।
गुरू वशिष्ठ जी आमंत्रण सबको भिजवाओ।

गुरु ने शिष्यों को सौंपी यह जिम्मेदारी।
पर उनसे हो गई भूल गफलत में भारी ।

सभी देवता समारोह में सजकर आए।
किंतु राम ने चित्र गुप्त के दर्श न पाए ।

किसने कैसे दिए निमंत्रण बुद्धि लगाई।
चित्रगुप्त भगवान नहीं पड़ रहे दिखाई।

घबड़ाए सुर बिगड़ गई अपनी दीवाली ।
स्वर्ग नरक की बंद पड़ी थी कार्य प्रणाली ।

जन्म मृत्यु का बंद हो गया लेखा जोखा ।
पता नहीं हो गया कहाँ पर कैसा धोखा।

किया नहीं आदेश भरत का विधिवत पालन ।
इसीलिए तो रुका सृष्टि का सब संचालन ।

अब वशिष्ठ जी चलो अभी तक भूल सुधारो ।
चित्रगुप्त को मना थपा कर पद पर धारो।

चले राम गुरु साथ बिगड़ती बात बनाने।
धर कोने में कलम चित्र जी मिले रिसाने ।

दीवाली के बाद नहीं ये कलम चलाई ।
चित्र गुप्त अब हमें क्षमा कर दो हे भाई ।

ब्राह्मण की है भूल सजा ऐसी न सुनाओ ।
सृष्टि संचालन का फिर से कार्य उठाओ।

वेद शास्त्र में क्षमता तुम पूरी रखते हो ।
ब्राम्हण से भी दान बराबर ले सकते हो।

लिखा तुम्हारा कभी नहीँ हो सकता झूठा।
ब्राम्हण कायस्थ बीच रहेगा प्रेम अनूठा।

मंदिर बने तुम्हारा सुन्दर खास अवध में।
नाम धर्म हरि होगा बैठो अपने पद में।

इस मंदिर बिन पूर्ण न होय अवध का दर्शन।
अब तो जग पर करो दया दृष्टि का बरसन।

ब्राम्हण व कायस्थ प्रेम को सदा निभायें।
इक दूजे का मान समर्थन साथ बनायें ।

दीवाली से कलम बंद कायस्थ करेंगे।
दोज पूजकर फिर लेखन का ध्यान धरेंगे।

पाकर यह वरदान चित्र ड्यूटी पर आए।
तबसे ही कायस्थ बाम्हणों को अपनाए।

यही कलम की कथा दूज पूजन में आई।
ऋषियों मुनियों और पुराणों ने भी गाई।

सदा गुरू विप्रों को सादर माथा टेकें।
कुछ शंका हो तो थोड़ा अध्ययन कर देखें।

गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश
15/11/2020

Language: Hindi
2 Comments · 284 Views
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