“”श्रद्धा का यह श्राद्ध है “” (सर्वपितृ अमावस्या पर विशेष)
तर्पण अर्पण और समर्पण,
श्रद्धा का यह श्राद्ध है।
पुरखो से जो मिली धरोहर,
रखते हमेशा याद है ।।
आप ही ने तो हमें जीवन दिया,
इसको कैसे जीना जग में।
परंपराओं का हमने निर्वहन किया।
आपके आदर्शों पर चल रहे आप के बाद हैं।
पुरखों से जो मिली धरोहर रखते हमेशा याद है।।
दीप जलाकर घी – गुड से था,
हमने नित्य होम किया।
क्षीर खीर और मालपुए का,
स्मरण भोग भाव दिया।
बैठ मुंडेर कागा ले रहे थे स्वाद है।
आपके आदर्शों पर चल रहे आप के बाद।।
सर्व पितृ है आज अमावस,
देव लोक फिर जाओगे।
हर दिन तुमको याद करें हम,
आशीष हमें दे जाओगे।
भूल चूक गर हुई कोई तो,
क्षमा हमें कर देना।
सुखमय जीवन चलता रहे यह,
बस यही हमको वर देना।
अनुनय पूर्वजों से ही हम आबाद हैं।
आपके आदर्शों पर चल रहे आप के बाद हैं।।
– राजेश व्यास अनुनय