श्रद्धांजलि
[बेटी क्या बोलूं मै
आज निरूत्तर हूं
लेकिन एक बात अवश्य हीं कहूंगा…..
दिवंगत..
……………..
तुम्हें इतना जो स्नेह करे
नयनो में कभी ना आंशु दे
उसपे बोलो क्या बीतेगी
जब ऐसे तुम्हें वो देखेगा।
जहाँ प्यार रहे निस्वार्थ रहे
एक दूजे का एहसास रहे
वो छोड़ कभी ना जाते है
हर पल वो साथ ही रहते है
बिटिया उनका तुम ध्यान करो
उन पदचापों का भान करो
उनको कोई दुख ना तुम देना
खुश रहो कभी ना तुम रोना
अब अगर कभी तु रोयेगी
सच मानों उनको खो दोगी
वो हर पल ही तेरे साथ ही हैं
सच मानो हर एहसास में हैं
हर बात में हैं तेरे सांस में है
हद दिन में हैं हर रात में है
तुम श्रवण करो दिल की धड़कन
वो हर धड़कन विश्वास में हैं
माना आंखों से ओझल है
किन्तु हर पल तेरे साथ ही हैं
जो हमको दिल से प्यार करे
ओ कभी छोड़ नहीं जाते है
तुम जब चाहो उन्हें पाने की
खुद में उनको तुम पाओगी
जो दुख इतना तूं मनाओगी
सच मानो उन्हें सताओगी
है पंचतत्व का बना हुआ
ऐ शरीर हमारा नश्वर है
किन्तु जो कभी ना मरती है
वह आत्मा है, हमें देखती है
अब उसका ही तुम भान करो
कभी दुखी ना हो ध्यान रखो।।
©®………………………
पं.संजीव शुक्ल “सचिन”