Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Jan 2017 · 1 min read

शेर

तुम जानती नहीं कि लौ सी जलती है मेरे अंदर
तुम्हीं हो वो बाती जो मेरे उजाले की पहचान है

-पंकज त्रिवेदी …

Language: Hindi
Tag: शेर
256 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*सबसे अच्छे मूर्ख हैं, जग से बेपरवाह (हास्य कुंडलिया)*
*सबसे अच्छे मूर्ख हैं, जग से बेपरवाह (हास्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
पर्वतों का रूप धार लूंगा मैं
पर्वतों का रूप धार लूंगा मैं
कवि दीपक बवेजा
मुश्किलों से हरगिज़ ना घबराना *श
मुश्किलों से हरगिज़ ना घबराना *श
Neeraj Agarwal
कब गुज़रा वो लड़कपन,
कब गुज़रा वो लड़कपन,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
वो सुहाने दिन
वो सुहाने दिन
Aman Sinha
सत्य यह भी
सत्य यह भी
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
मत गुजरा करो शहर की पगडंडियों से बेखौफ
मत गुजरा करो शहर की पगडंडियों से बेखौफ
Damini Narayan Singh
आईना अब भी मुझसे
आईना अब भी मुझसे
Satish Srijan
क्योंकि मै प्रेम करता हु - क्योंकि तुम प्रेम करती हो
क्योंकि मै प्रेम करता हु - क्योंकि तुम प्रेम करती हो
Basant Bhagawan Roy
तालाश
तालाश
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
सुहागन का शव
सुहागन का शव
Anil "Aadarsh"
संपूर्ण कर्म प्रकृति के गुणों के द्वारा किये जाते हैं तथापि
संपूर्ण कर्म प्रकृति के गुणों के द्वारा किये जाते हैं तथापि
Raju Gajbhiye
" एक बार फिर से तूं आजा "
Aarti sirsat
योग दिवस पर
योग दिवस पर
डॉ.सीमा अग्रवाल
3117.*पूर्णिका*
3117.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कहीं  पानी  ने  क़हर  ढाया......
कहीं पानी ने क़हर ढाया......
shabina. Naaz
#निस्वार्थ-
#निस्वार्थ-
*Author प्रणय प्रभात*
दर्द ए दिल बयां करु किससे,
दर्द ए दिल बयां करु किससे,
Radha jha
हरे! उन्मादिनी कोई हृदय में तान भर देना।
हरे! उन्मादिनी कोई हृदय में तान भर देना।
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
*** चल अकेला.......!!! ***
*** चल अकेला.......!!! ***
VEDANTA PATEL
बेरोजगारी।
बेरोजगारी।
Anil Mishra Prahari
पढ़े साहित्य, रचें साहित्य
पढ़े साहित्य, रचें साहित्य
संजय कुमार संजू
💐प्रेम कौतुक-379💐
💐प्रेम कौतुक-379💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
आदर्श शिक्षक
आदर्श शिक्षक
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
आजकल की औरते क्या क्या गजब ढा रही (हास्य व्यंग)
आजकल की औरते क्या क्या गजब ढा रही (हास्य व्यंग)
Ram Krishan Rastogi
कभी ना अपने लिए जीया मैं…..
कभी ना अपने लिए जीया मैं…..
AVINASH (Avi...) MEHRA
....नया मोड़
....नया मोड़
Naushaba Suriya
स्त्री-देह का उत्सव / MUSAFIR BAITHA
स्त्री-देह का उत्सव / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
देखकर प्यारा सवेरा
देखकर प्यारा सवेरा
surenderpal vaidya
क्रिकेट
क्रिकेट
SHAMA PARVEEN
Loading...