Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Nov 2016 · 1 min read

शेर

“हम दिल को कई रोज़ से बहलाये हुए हैं
काग़ज़ के कबाड़ों से घबराये हुए हैं”

.

.
.
”रौशन रहते थे अपने परिचित बन्दे
अपरिचित हजार नोट से सताये हुए हैं.”

Language: Hindi
Tag: शेर
238 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आँखों की कुछ तो नमी से डरते हैं
आँखों की कुछ तो नमी से डरते हैं
अंसार एटवी
क्यों बनना गांधारी?
क्यों बनना गांधारी?
Dr. Kishan tandon kranti
अज्ञानी की कलम
अज्ञानी की कलम
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
दिल एक उम्मीद
दिल एक उम्मीद
Dr fauzia Naseem shad
मुश्किल है कितना
मुश्किल है कितना
Swami Ganganiya
मनुष्य भी जब ग्रहों का फेर समझ कर
मनुष्य भी जब ग्रहों का फेर समझ कर
Paras Nath Jha
बात खो गई
बात खो गई
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
एक जिद्दी जुनूनी और स्वाभिमानी पुरुष को कभी ईनाम और सम्मान क
एक जिद्दी जुनूनी और स्वाभिमानी पुरुष को कभी ईनाम और सम्मान क
Rj Anand Prajapati
"मैं एक पिता हूँ"
Pushpraj Anant
दोहा - चरित्र
दोहा - चरित्र
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
What I wished for is CRISPY king
What I wished for is CRISPY king
Ankita Patel
*पहले वाले  मन में हैँ ख़्यालात नहीं*
*पहले वाले मन में हैँ ख़्यालात नहीं*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
कोई...💔
कोई...💔
Srishty Bansal
उनको घरों में भी सीलन आती है,
उनको घरों में भी सीलन आती है,
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
आँखों में ख्व़ाब होना , होता बुरा नहीं।।
आँखों में ख्व़ाब होना , होता बुरा नहीं।।
Godambari Negi
Hey....!!
Hey....!!
पूर्वार्थ
* फूल खिले हैं *
* फूल खिले हैं *
surenderpal vaidya
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
संकट..
संकट..
Sushmita Singh
इनको साधे सब सधें, न्यारे इनके  ठाट।
इनको साधे सब सधें, न्यारे इनके ठाट।
दुष्यन्त 'बाबा'
आडम्बर के दौर में,
आडम्बर के दौर में,
sushil sarna
करवाचौथ
करवाचौथ
Neeraj Agarwal
खुद की तलाश
खुद की तलाश
Madhavi Srivastava
हुनर मौहब्बत के जिंदगी को सीखा गया कोई।
हुनर मौहब्बत के जिंदगी को सीखा गया कोई।
Phool gufran
चित्र कितना भी ख़ूबसूरत क्यों ना हो खुशबू तो किरदार में है।।
चित्र कितना भी ख़ूबसूरत क्यों ना हो खुशबू तो किरदार में है।।
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
3214.*पूर्णिका*
3214.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
नेह धागों का त्योहार
नेह धागों का त्योहार
Seema gupta,Alwar
अंतहीन प्रश्न
अंतहीन प्रश्न
Shyam Sundar Subramanian
जात आदमी के
जात आदमी के
AJAY AMITABH SUMAN
Loading...