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19 May 2017 · 1 min read

जैसा करे,वैसा पाए???

मुसीबते आजमाती इंसान को यहाँ।
इंसान परेशान हो जाता है बेइंतहा।
नहीं समझता प्रभु की लीला ये सब,
रोता चिल्लाता है अजान बांध समां।

प्रेरणा मेरी कहती है मत हो निराश।
दु:ख के बाद सुख आता ले प्रकाश।
आँधी बाद बारीस का ज्यों आगमन,
हरी-भरी करता धरा,निखारे आकाश।

व्याकुल कभी न हो पल-पल बदले।
चले कभी चलते-चलते चाहे फिसले।
दो पहलू बनाए हैं हर बात के,सुन!
कभी रात हो जैसे कभी सुबह खिले।

स्वान भौकें लाख परवाह न तू कर।
मंज़िल मिलेगी, छोड़ना न तू डगर।
कोई ताने दे,कोई सुझाव सुन सबकी,
पर अपने मन की मानता चल सुधर।

एक दिन काँटे भी फूल बन खिलेंगे।
एक दिन पराये भी अपने बन मिलेंगे।
तेल देख तेल की धार देख,तू प्यारे!
आज तू चलता कल तेरे आदेश चलेंगे।

हिम्मत से भाग्य चमके,भाग्य को भूल।
कर्म नेक कर बस अपनाले सद् उसूल।
तेरी लग्न से,मन मग्न से,सच्चे फ़न से,
धूल भी चूमकर क़दम बन जाएगी फूल।

…….राधेयश्याम बंगालिया”प्रीतम”
????

Language: Hindi
293 Views
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