“शुभ दीपावली”
आओ सब मिल मनाएँ हम दीवाली,
कोई घर न रहे अब खाली!
आओ सब मिल दीप जलाएँ,
खुशियों में सब घुल-मिल जाएँ!
बैर-भाव सब भूल-भालकर,
एक-दूजे के घर-घर जाकर!
बाँटें खुशियाँ-रूपी मिठाई!
छोड़ो फुलझड़ी और पटाखे,
पर्यावरण ये दूषित करते!
फल मिठाई और कपड़े बाँटें,
दरिद्र जनों का दुःख हम बाँटें!
खुश हों बच्चे उनके दे ताली!
काम-काजी जो बाहर रहते,
मात-पिता से मिल नहीं पाते!
उनकी खुशियाँ रहें न अधूरी,
घर आकर कर लें वे भी पूरी!
सालभर का त्योहार है दीवाली!
मिटे द्वेष, घृणा मिट जाए,
हर दिल खुशियाँ आएँ-जाएँ!
मन की कर लो साफ-सफाई,
‘मयंक’ नफ़रत की करो विदाई
घर-घर देखो आई है दीवाली!
के आर परमाल ‘मयंक’