Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Mar 2017 · 1 min read

शुभकामना

नव संबत 2074 एवं नवदुर्गा आगमन पर शुभकामना – संदेश
************************************* माँस – मदिरा परित्याग करें हम ,
गवादि हत्या बन्द करें हम ।
गो पालन को सब अपनायें ,
गो घृत – पय को पसन्द करें हम ।
तृषित जनों की सेवा करलें ,
पीड़ितों की हम पीड़ा हरलें ।
मनुष्यता के कार्य करें हम ,
मानवता अपने उर धरलें ।
कुकृत्य न स्वच्छन्द करें हम ।। गवादि…..
माँ के प्रति हम प्रीति जगालें ,
माँ की मूर्ति मन में बसा लें ।
माँ के चरणों में सच्चा सुख है ,
माँ के चरणों में लगन लगा लें ।
माँ गुण – गान में छन्द भरें हम ।। गवादि …..

नव – सम्वत्सर 2074 एवं नवदुर्गा के शुभागमन पर सभी भारत देश वासियों को इष्ट – मित्रों सहित हार्दिक शुभकामनाएं ।
डाँ तेज स्वरूप भारद्वाज

Language: Hindi
433 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
रोम-रोम में राम....
रोम-रोम में राम....
डॉ.सीमा अग्रवाल
निर्बल होती रिश्तो की डोर
निर्बल होती रिश्तो की डोर
Sandeep Pande
💐अज्ञात के प्रति-120💐
💐अज्ञात के प्रति-120💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
भगतसिंह के ख़्वाब
भगतसिंह के ख़्वाब
Shekhar Chandra Mitra
करोगे रूह से जो काम दिल रुस्तम बना दोगे
करोगे रूह से जो काम दिल रुस्तम बना दोगे
आर.एस. 'प्रीतम'
मुक्तक।
मुक्तक।
Pankaj sharma Tarun
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
भाई दोज
भाई दोज
Ram Krishan Rastogi
सतरंगी इंद्रधनुष
सतरंगी इंद्रधनुष
Neeraj Agarwal
मैं उसको जब पीने लगता मेरे गम वो पी जाती है
मैं उसको जब पीने लगता मेरे गम वो पी जाती है
कवि दीपक बवेजा
आंखों को मल गए
आंखों को मल गए
Dr fauzia Naseem shad
शायद शब्दों में भी
शायद शब्दों में भी
Dr Manju Saini
व्यक्तिगत अभिव्यक्ति
व्यक्तिगत अभिव्यक्ति
Shyam Sundar Subramanian
*दूर देश से आती राखी (हिंदी गजल)*
*दूर देश से आती राखी (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
आँसू
आँसू
Dr. Kishan tandon kranti
लिपटी परछाइयां
लिपटी परछाइयां
Surinder blackpen
■ आज की बात
■ आज की बात
*Author प्रणय प्रभात*
गुम लफ्ज़
गुम लफ्ज़
Akib Javed
वो ख्वाब
वो ख्वाब
Mahender Singh
पथ नहीं होता सरल
पथ नहीं होता सरल
surenderpal vaidya
आपका समाज जितना ज्यादा होगा!
आपका समाज जितना ज्यादा होगा!
Suraj kushwaha
23/01.छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
23/01.छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
आरती करुँ विनायक की
आरती करुँ विनायक की
gurudeenverma198
कविता (आओ तुम )
कविता (आओ तुम )
Sangeeta Beniwal
सारे नेता कर रहे, आपस में हैं जंग
सारे नेता कर रहे, आपस में हैं जंग
Dr Archana Gupta
बांते
बांते
Punam Pande
Pal bhar ki khahish ko jid bna kar , apne shan ki lash uthai
Pal bhar ki khahish ko jid bna kar , apne shan ki lash uthai
Sakshi Tripathi
मेरे पापा
मेरे पापा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
"मैं" का मैदान बहुत विस्तृत होता है , जिसमें अहम की ऊँची चार
Seema Verma
माना सांसों के लिए,
माना सांसों के लिए,
शेखर सिंह
Loading...