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16 May 2021 · 1 min read

शीर्षक-सुनो रहनुमा

शीर्षक-सुनो रहनुमा

प्राणों की चिंता किसको है प्राण बचाने जाते हैं
यह बात निराली है सुनिए प्राण गँवाने जाते हैं।

बीवी बच्चों की ही खातिर गांवों से यह आए थे
बीवी बच्चों की ही खातिर गांवों को यह जाते हैं।

रोजी रोटी के लाले थे गांवों में हैरान रहे
सूखी रोटी भी मिल न सकी आफत में प्राण रहे।

चलते ट्रक में बस चढ़ जाएं जान बचाएं कैसे भी
मजबूर हुआ इंसान कितना सोच रही मैं बात यही।

ऐसे प्राण बचेंगे कैसे सोचा किस ने आज यहां
हम गांव पहुंच जायेंगे सपना मन में आज यहां।

बड़ी बुरी है आग पेट की आज समझ में आया है
बच्चों की प्यासी आंखों में यूं चांद उतर आया है।

जब पहुंचेंगे ठौर ठिकाने सांस चैन की लेंगे
हम आधी रोटी में खुश हो फिर शहर भुला देंगे।
डॉ नंजु सैनी
गाजियाबाद

Language: Hindi
1 Like · 190 Views
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