शीर्षक:नफरत
नफरत की आज दुनियां हैं
प्यार पाना मुश्किल है
साजिश है आग लगाने की
आपस में लड़वाने की
परख हमे करनी होगी
कोई धूर्त खड़ा है गाड़ निगाहे
वह रंज लिए, बैठे दिल में
हम प्यार, बांटने निकले हैं
प्यार लूटा कर दम लेंगे।
नफरत की आज दुनियां हैं
प्यार पाना मुश्किल है
चाहें कितना भी रंज रखो
पर हम प्यार लुटाएंगे
तुम कुछ न करो
फिर भी तुमसे आशाएं हैं
पर दीप हम जलाए रहेंगे
जीवन में बड़ी अपेक्षा से ,
तुमसे उम्मीद लगाए बैठे हैं !
नफ़रत की आज दुनियां हैं
प्यार पाना मुश्किल है
वे शंकित, हुए मन से अपने
कुंठित मन लेकर,जी रहे सभी
कुछ कटाक्ष हम पर किये गए
हम समझ नही पाए,उनको
क्यों मारा?कटाक्ष पता नही
बेदर्दों को तकलीफ भी नहीं,
केवल कठोर, क्षमताएं हैं।
नफरत की आज दुनियां हैं
प्यार पाना मुश्किल है
मन पापी दोषी हुआ है
हम चोटें लेकर भी दिल पर,
अरमान लगाये बैठे हैं !
क्या शिकवा क्या शिकायत कर्रे
क्या हुआ तुम्हे भी पता नही
बस जो किया नफरत भर में मे
न जाने क्यों आँख पे पट्टी बाँध रखी।
नफरत की आज दुनियां हैं
प्यार पाना मुश्किल है
क्यों नफरत लेकर,दिन रात फिरे
रिश्ते, क्यो तार तार किये
परिभाषित क्यो करते गलती
कहने सुनने से होगा नही कुछ
मन में पलतीं हैं गलत फहमी सारी
हम सरल ह्रदय,मन मे तुम हो
कुछ याद दिलाती हूँ तुमको।
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद