Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Aug 2020 · 4 min read

शिव कुमारी भाग ११

चचेरी दीदी की शादी तय होनी थी। उनके लिए जब लड़का देखने झरिया गए, तो मैं भी गया था। बात पक्की करके जब ट्रेन से लौट रहे थे तो आद्रा स्टेशन पर ट्रेन कुछ देर रुकती थी।

ट्रेन का इंजिन बदला जाता था। जब ट्रेन दुबारा चलना शुरू हुई , तो जिस दिशा से हम आ रहे थे, ट्रेन वापस उसी दिशा की ओर चल पड़ी, मैं थोड़ा चिंतित हो रहा था, ताऊजी के साथ आये उनके खास दोस्त, मेरी परेशानी समझ कर मज़ाक मे बोल पड़े, कि हम लोग वापस झरिया लौट रहे है,

मुझे उदास पाकर फिर बोले ये ट्रेन थोड़ी सी आगे जाकर घूम जाएगी ,चिंता मत करो।

मैंने चैन की सांस ली। घर पहुंच कर बहनों ने मेरी भी राय ली कि जीजाजी कैसे लगे,

मैंने कहा ,बहुत अच्छे!!

मेरी त्वरित सकारात्मक टिप्पणी के पीछे, उनके द्वारा दिलवाई गयी , दो इलास्टिक की बेल्ट का भी हाथ रहा था, एक मैं पहने हुआ था और दूसरी जेब मे पड़ी थी।

ऐसे ही एक दिन किसी और के रिश्ते की बात हो रही थी , दादी उनको जानती थी, उनके मायके के पास वाले कस्बे से ताल्लुक रखते थे, लड़का अच्छा था,
पर दादी बोल पड़ी, वहाँ भूल कर भी रिश्ता मत करना, इनके दादा और पड़दादा को मैं जानती हूँ,

“रामर्या, बात बात म भेन बेटी तक को गैणो गूठी अडाणा राख देता”
(कमबख्त, बात बात मे अपनी बहन बेटियों के गहने तक गिरवी रख देते थे)

ये एक बात दादी के लिए काफी थी उनके बारे मे अपनी नकारात्मक राय बनाने मे।

उनका ये मानना था कि छोटी छोटी बातों मे कोई अपनी बहन बेटियों के अमानती गहने रेहन पर रख कर पैसे उधार लेता है क्या?

थोड़े कम मे गुजारा कर लो। परेशानी भी झेल लो पर गहनों को हाथ मत लगाओ और अमानत पर तो बिल्कुल भी नही।

गहने तो माँ बाप का दिया हुआ आशीर्वाद और सुरक्षा कवच हैं जो घोर विपत्ति आने पर ही काम आएंगे।

आज की गोल्ड लोन कंपनियों और क्रेडिट कार्ड के आम चलन को दादी बहुत गालियां देतीं।

चचेरी बहन की शादी अच्छे से हो गयी, दादी के एक भतीजे का बेटा भी उस शादी मे शरीक हुआ, जो उस वक़्त आसाम के किसी चाय बागान मे कार्यरत थे।

उनसे मिलकर दादी इतना खुश हुई कि घंटो अपने मायके के बारे मे खोजबीन लेती रही,

कभी खिलखिला उठती तो कभी रो पड़ती।

मैंने दादी को एक दो बार ही पीहर जाते देखा था, उन्हें अपने साथ किसी और को ले जाने की आवश्यकता नही थी, वो तो अकेले ही कहीं भी जाने मे सक्षम थी।

दिल्ली मे जाकर मुसाफिरखाने मे कितनी देर बैठना पड़ेगा, वहां से कब दूसरी ट्रेन मिलेगी, उन्हें सब पता था। स्टेशन पर कुली ज्यादा ज्ञान बांटने लगता, फिर उनसे गालियां खाकर ही चुप होता ,कि कैसी खतरनाक औरत से पाला पड़ा है,

उनके आगे चालाकी की कोई गुंजाइश नही थी। सफर के लिए दो तीन दिनों का खाना घर से ही बनवा के ले जाती थी।

फिर जब लौटती, तो माँ , ताईजी और आस पड़ोस की महिलायें उनके पाँव छूती, छूना क्या बाकायदा पिंडलियों तक ले जाकर उंगलियों से दबाना पड़ता तब जाकर उनको चैन मिलता।

आशीर्वाद के साथ ये इशारा भी होता कि शेरनी लौट आयी है, अनुपस्थिति मे जो किया सो किया, अब संभलने की जरूरत है।

एक दिन दादी से पूछ बैठा कि कोलकाता किस तरफ है, उन्होंने घर के पीछे वाले हिस्से की ओर इशारा कर दिया जिधर से सूरज रोज निकलता था।

मैं कोलकाता को अपने दिमाग के नक्शे मे उत्तर दिशा मे बसा चुका था क्योंकि रेलवे स्टेशन पश्चिम दिशा मे था और कोलकाता की ट्रेन आकर फिर उत्तर दिशा की ओर सीधी चली जाती थी।

अब सारा शहर नए सिरे से बसाना था , गंगा नदी भी नन्हे दिमाग में गलत दिशा मे बह रही थी।

मैं सिर्फ सोच रहा था दादी अगर थोड़ी पढ़ी लिखी होती तो फिर क्या होता?

उनके दिमाग मे जो भी था बिल्कुल साफ था किसी शक और असमंजस की कोई जगह नही थी।

एक दिन दादी, दादाजी के पास बैठकर अपने सभी जानने वालों के नाम, पते, जगह आदि को बोल बोल कर, झाड़ पोंछ कर करीने से फिर अपने दिमाग मे बैठा रही थी। दादाजी बीच बीच मे अपनी विशषज्ञों वाली राय दे रहे थे।

उनकी बात ध्यान से सुनकर नई सूचनाएं दिमाग मे भरती जा रही थी।

बीच बीच मे दादी उनकी जानकारी सुधार भी देती

“श्याणो थान ठाह कोनी” (आपको ये बात पता नही है)

” थे तो पुराणी बात कह्वो हो, फलानो तो अब बनारस रहण लागग्यो”

(आप तो पुरानी बात बता रहे है, फलाना तो अब बनारस रहने लग गया है)

दादी के ज्ञानकोष का ये भाग इस तरह नए संस्करण के साथ तैयार हो जाता । ये अभ्यास हर एक दो साल मे होता ही था।

राजस्थान से जब कभी , बही भाट/ब्रम्हभाट (वंशावली का ब्यौरा रखने वाले) आते तो दादी बहुत खुश होती, पहले तो वो उनकी जांच करती कि ये उनके वाले ही है तो?। एक बार आश्वस्त होने पर चाव से पूरे वंश का पीढ़ी दर पीढ़ी इतिहास सुनती, कौन कहाँ से आकर कहाँ बसा।

घर के नए सदस्यों का नाम पंजीकरण करवाती। फिर उनसे भजन वगैरह सुनती। विदा करते वक़्त दक्षिणा के साथ कपड़े भी देती थी और पूछ भी लेती कि अगली बार कब आना होगा?

पीढ़े पर बैठी बैठी बोल उठती

“देशां की तो बात ही और थी”
(अपने राजस्थान की तो बात ही और थी)

एक पल के लिए प्रवासी होने का दर्द भी झलक पड़ता।

फिर दूसरे ही क्षण बोलती

“जा रे छोरा, तेरी माँ न बोल चा बणा देसी”
(जाओ अपनी माँ को बोलो मेरे लिए चाय बना देगी)

ये सुनते ही मैं चौके की ओर दौड़ पड़ता। पीछे से दादी आवाज़ देती,
“रामर्या, भाज मना, पड़ ज्यासी”
( मूर्ख, दौड़ो मत गिर जाओगे)

Language: Hindi
3 Likes · 4 Comments · 726 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Umesh Kumar Sharma
View all
You may also like:
सरकारी
सरकारी
Lalit Singh thakur
मेरे दिल ❤️ में जितने कोने है,
मेरे दिल ❤️ में जितने कोने है,
शिव प्रताप लोधी
सुरक्षा कवच
सुरक्षा कवच
Dr. Pradeep Kumar Sharma
नकाबपोश रिश्ता
नकाबपोश रिश्ता
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
प्रेम जीवन धन गया।
प्रेम जीवन धन गया।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
ज़िंदगी मौत पर
ज़िंदगी मौत पर
Dr fauzia Naseem shad
हुआ जो मिलन, बाद मुद्दत्तों के, हम बिखर गए,
हुआ जो मिलन, बाद मुद्दत्तों के, हम बिखर गए,
डी. के. निवातिया
"उस इंसान को"
Dr. Kishan tandon kranti
जीवन को अतीत से समझना चाहिए , लेकिन भविष्य को जीना चाहिए ❤️
जीवन को अतीत से समझना चाहिए , लेकिन भविष्य को जीना चाहिए ❤️
Rohit yadav
प्रीतघोष है प्रीत का, धड़कन  में  नव  नाद ।
प्रीतघोष है प्रीत का, धड़कन में नव नाद ।
sushil sarna
ध्यान में इक संत डूबा मुस्कुराए
ध्यान में इक संत डूबा मुस्कुराए
Shivkumar Bilagrami
व्यर्थ विवाद की
व्यर्थ विवाद की
*Author प्रणय प्रभात*
मेरा महबूब आ रहा है
मेरा महबूब आ रहा है
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
सपना
सपना
ओनिका सेतिया 'अनु '
प्रेम एक सहज भाव है जो हर मनुष्य में कम या अधिक मात्रा में स
प्रेम एक सहज भाव है जो हर मनुष्य में कम या अधिक मात्रा में स
Dr MusafiR BaithA
CUPID-STRUCK !
CUPID-STRUCK !
Ahtesham Ahmad
पाँच सितारा, डूबा तारा
पाँच सितारा, डूबा तारा
Manju Singh
हर विषम से विषम परिस्थिति में भी शांत रहना सबसे अच्छा हथियार
हर विषम से विषम परिस्थिति में भी शांत रहना सबसे अच्छा हथियार
Ankita Patel
यश तुम्हारा भी होगा।
यश तुम्हारा भी होगा।
Rj Anand Prajapati
Meri najar se khud ko
Meri najar se khud ko
Sakshi Tripathi
अबोध अंतस....
अबोध अंतस....
Santosh Soni
रूठकर के खुदसे
रूठकर के खुदसे
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
#ekabodhbalak
#ekabodhbalak
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सब तो उधार का
सब तो उधार का
Jitendra kumar
मन पतंगा उड़ता रहे, पैच कही लड़जाय।
मन पतंगा उड़ता रहे, पैच कही लड़जाय।
Anil chobisa
रिटर्न गिफ्ट
रिटर्न गिफ्ट
विनोद सिल्ला
💐अज्ञात के प्रति-105💐
💐अज्ञात के प्रति-105💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
2506.पूर्णिका
2506.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
निर्मेष के दोहे
निर्मेष के दोहे
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
*26 फरवरी 1943 का वैवाहिक निमंत्रण-पत्र: कन्या पक्ष :चंदौसी/
*26 फरवरी 1943 का वैवाहिक निमंत्रण-पत्र: कन्या पक्ष :चंदौसी/
Ravi Prakash
Loading...