Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Sep 2016 · 3 min read

शिक्षक दिवस

सतगुरु की महिमा अनंत, अनंत किया उपकार”
(आज के संदर्भ में प्रस्तुत पंक्ति की प्रासंगिकता )
शिक्षक दिवस विशेषांक

आज से हजारों वर्ष पूर्व संत कबीर द्वारा कही गयी यह पंक्ति कितनी प्रासंगिक ठहरती है यह जानने एवं समझने का का प्रयास है ।

भारतीय संस्कृति में गुरु आध्यात्मिक या धार्मिक दृष्टि से या चरित्र निर्माण की दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं अपितु विपत्ति काल में शिष्य का सर्वस्व होता था ।राजा दशरथ के दरवार में सभी कार्य गुरू विश्वामित्र और वशिष्ठ की सम्मति से होते थे एवं महाभारत के युद्ध में जब अर्जुन युद्ध नहीं करना चाहते है तो कृष्ण गुरू के रूप में धर्म और अधर्म का मार्ग बताकर युद्ध के लिए तैयार करते है ।
वर्तमान में मूल्यों का ह्रास “दिन दूना रात चौगुनी” गति से हो रहा है। गुरू शिष्य के बीच सम्बन्ध अच्छे नहीं रह गये । गुरू महिमा का यह आदर्श वर्तमान काल में प्रसंगिक नहीं ठहरता क्योंकि गुरू का उपकार मानने वाले शिष्यों की संख्या लुप्तप्राय है साथ ही शिक्षक वर्ग भी व्यवसायिक हो गया है जो विद्यालय में शिक्षा न देकर व्यक्तिगत शिक्षण के द्वारा धन अर्जित करना चाहता है ।

वैदिक शिक्षा प्रणाली में जब शिष्य अपना घर-वार छोड़ कर गुरूकुल में रहता था , तो शिक्षक ही उसके माता पिता सर्वस्व था कबीर ने भी गुरू को —

गुरूर्ब्रह्मा गुरूर्विष्णु र्गुरूदेवो महेश्वरः

बह्मा इसलिये है क्योंकि हर दृष्टि से तैयार कर उसका निर्माण करता है विष्णु इसलिए है क्योंकि अनेक प्रकार की बुराईयों से बचाकर उसकी रक्षा करता है महेश्वर की तरह दुर्गुणों का संहार करता है ।

परन्तु आज शिष्य बिना प्रयत्न के सब कुछ अर्जित करना चाहता है । आदर भाव बिलकुल समाप्त हो गया । यहाँ तक कि अश्लील हरकतें भी देखने सुनने में आती है इस तरह
गुरू-शिष्य परंपरा कहीं न कहीं कलंकित हो रही है। आए दिन शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों के साथ जातिगत भेदभाव शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर आम बात हो गयी है। आज न तो गुरू-शिष्य की परंपरा रही और न ही वे गुरू और शिष्य रह गये है ।

प्राय देखते है कि छात्र और शिक्षक का सबंध भी उपभोक्ता और सेवा प्रदाता जैसा है छात्रों के शिक्षा मात्र धन से खरीदी जाने वाली वस्तु मात्र है इससे शिष्य की गुरु के प्रति अगाध श्रद्धा और गुरु का छात्रों के प्रति संरक्षक भाव लुप्त होता जा रहा है ।
व्यवसायीकरण ने शिक्षा को कारखाना
एवं धंधा बना दिया है। संस्कार की बजाय धन इतना महत्वपूर्ण हो गया है कि कि गुरू और शिष्य दोनों के सम्बन्ध खराब हो गये है अत: इस पवित्र संबंध की मर्यादा को बनाये रखने के लिए आगे आयें ताकि हम इस सुदीर्घ परंपरा को सुसंकृत ढंग से रूप में आगे बढ़ाया जा सके। आज हर घर तक शिक्षा को पहुँचाने के लिए सरकार प्रयासरत है ।

शिक्षक ईमादारी से पढ़ाए उसके लिए आवश्यक है कि शिक्षकों की मनःस्थिति को समझा जाए । शिक्षकों को भी वह सम्मान दिया जाए जिसके वे हकदार हैं। शिक्षक शिक्षा और विद्यार्थी के बीच एक सेतु का कार्य करता है । यदि यह सेतु ही कमजोर रहा तो समाज को खोखला एवं पथभ्रष्ट होने में देरी नही लगेगी।

‘शिक्षक दिवस‘ पर मात्र उपहार देने से शिक्षक का पद महिमा मंडित नहीं हो जाता है आवश्यकता है कि शिक्षक की भावनाओं को समझा जाए । शिष्य एवं गुरू को आत्ममंथन कर जानने की आवश्यकता है कि क्यों दोनों के बीच सम्बन्ध खराब क्यों हैं ।

गुरु करुणा है, गुरु का गुरुत्व है गुरु महिमा है। वह अपना सब कुछ चौबीस घण्टे अपने प्रिय शिष्य में उलेड़ने को तत्पर रहता है। इसलिए उसको ठोकता पीटता है, संभालता है, सब कुछ करता है । गुरु देता है तो छोटी-मोटी चीज नहीं देता है कि-

“गुरु समान दाता नहीं,
याचक शिष्य समान,

डॉ मधु त्रिवेदी
प्राचार्या
शान्ति निकेतन कालेज आॅफ बिजनेस मैनेजमेंट एन्ड कम्पयूटर साइन्स आगरा

Language: Hindi
Tag: लेख
69 Likes · 976 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from DR.MDHU TRIVEDI
View all
You may also like:
💐प्रेम कौतुक-513💐
💐प्रेम कौतुक-513💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
क्या कहें
क्या कहें
Dr fauzia Naseem shad
डायरी भर गई
डायरी भर गई
Dr. Meenakshi Sharma
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
चीत्कार रही मानवता,मानव हत्याएं हैं जारी
चीत्कार रही मानवता,मानव हत्याएं हैं जारी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*आवारा या पालतू, कुत्ते सब खूॅंखार (कुंडलिया)*
*आवारा या पालतू, कुत्ते सब खूॅंखार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
गर्मी की छुट्टियां
गर्मी की छुट्टियां
Manu Vashistha
🌹हार कर भी जीत 🌹
🌹हार कर भी जीत 🌹
Dr Shweta sood
2833. *पूर्णिका*
2833. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हमने तो उड़ान भर ली सूरज को पाने की,
हमने तो उड़ान भर ली सूरज को पाने की,
Vishal babu (vishu)
सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
MEENU
काश कि ऐसा होता....
काश कि ऐसा होता....
Ajay Kumar Mallah
आज का मुक्तक
आज का मुक्तक
*Author प्रणय प्रभात*
संतुलित रहें सदा जज्बात
संतुलित रहें सदा जज्बात
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
दर्शन की ललक
दर्शन की ललक
Neelam Sharma
A beautiful space
A beautiful space
Shweta Soni
मुहब्बत का ईनाम क्यों दे दिया।
मुहब्बत का ईनाम क्यों दे दिया।
सत्य कुमार प्रेमी
“मत लड़, ऐ मुसाफिर”
“मत लड़, ऐ मुसाफिर”
पंकज कुमार कर्ण
आधा - आधा
आधा - आधा
Shaily
टमाटर का जलवा ( हास्य -रचना )
टमाटर का जलवा ( हास्य -रचना )
Dr. Harvinder Singh Bakshi
World Earth Day
World Earth Day
Tushar Jagawat
आम्बेडकर मेरे मानसिक माँ / MUSAFIR BAITHA
आम्बेडकर मेरे मानसिक माँ / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
" तुम से नज़र मिलीं "
Aarti sirsat
दीप की अभिलाषा।
दीप की अभिलाषा।
Kuldeep mishra (KD)
Good morning 🌅🌄
Good morning 🌅🌄
Sanjay ' शून्य'
नवरात्रि का छठा दिन मां दुर्गा की छठी शक्ति मां कात्यायनी को
नवरात्रि का छठा दिन मां दुर्गा की छठी शक्ति मां कात्यायनी को
Shashi kala vyas
मैं और मेरा यार
मैं और मेरा यार
Radha jha
🌹🌹🌹शुभ दिवाली🌹🌹🌹
🌹🌹🌹शुभ दिवाली🌹🌹🌹
umesh mehra
Miracles in life are done by those who had no other
Miracles in life are done by those who had no other "options
Nupur Pathak
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Loading...