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2 Oct 2019 · 1 min read

*मैं ऐसा देश बनाऊँगा*

“मैं ऐसा देश बनाऊँगा”

जहाँ प्रेम रहे और समता हो,
जहाँ हर मानव में ममता हो ,
बसती जन-जन मानवता हो।
मैं ऐसा वतन बनाऊँगा ।
मैं ऐसा देश बनाऊँगा।

जहाँ अमृत धारा वितरित हो,
जहाँ मीठी वाणी मुखरित हो।
और हर इक जन व्यवहारिक हो ।
मैं ऐसा राग सुनाऊँगा।
मैं ऐसा देश बनाऊँगा।

जहाँ वर्ग-भेद का नाम ना हो,
जहाँ जात-पाँत का काम ना हो।
अल्लाह विरोधी राम न हो,
मैं हर मन द्वेष मिटाऊँगा।
मैं ऐसा देश बनाऊँगा।

जहाँ हर-नर ईश्वर-अंश बने,
जहाँ अज़ान सुने तो राम जगे,
घंटार सुनकर अल्लाह उठे।
मैं ऐसा भाव जगाऊँगा।
मैं ऐसा देश बनाऊँगा ।

जहाँ ईद-तीज त्योहारों पर,
मानवता का बलिदान ना हो ।
जहाँ गाँव-शहर हर नगर नगर,
‘मयंक’ नारी अपमान न हो।
मैं ऐसा परिवेश बनाऊँगा ।
के.आर.परमाल ‘मयंक’

Language: Hindi
1 Like · 433 Views
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