शायरी
✍️✍️✍️✍️
सोचता हूँ तेरी तस्वीर को बनाऊ फिर से
बहुत रो लिया मुस्कराऊ फिर से,
तुझसे मिले हुए धोखे को तो बरसों हो गए,
सोचता हूँ एक और धोखा खाऊ फिर से!✍️
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सोचता हूँ तेरी तस्वीर को बनाऊ फिर से
बहुत रो लिया मुस्कराऊ फिर से,
तुझसे मिले हुए धोखे को तो बरसों हो गए,
सोचता हूँ एक और धोखा खाऊ फिर से!✍️