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10 Jun 2020 · 1 min read

शायरी-ए-सियासत ।

रात काटते थे कभी अब इंतज़ार में बैठे है
सुबह की धूप या यूं कहो बाग-ओ-बहार में बैठे है ।

जिन्हें सच को झूठ कहने का सलीका आ गया
वो इस मुल्क में अब सरकार में बैठे है ।

इज़्ज़त आबरू बेच बड़ी दौलत कमाई जिसने
वो आज बड़े शान से इश्तिहार में बैठे है ।

कोई तो रोक लेगा उसे भूखे प्यासे मरने से
महीनों से वो सड़कों पे इसी इंतज़ार में बैठे है ।

लूट गयी देश अमीरों के ,चोर लुटेरों के हाथों
ये बताओं की यहां कौन चौकीदार में बैठे है ।

– हसीब अनवर

1 Like · 1 Comment · 292 Views
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