शादी का बंधन
हार तेरा,
मेरे गले की फाँस नही ,
पायल तेरी,
मेरे पैरों की जंजीर नही,
तू ये न सोच,
मैं बंध गया हूँ
मैं हवा हूँ, हर जगाह हूँ ।
तेरी साँसों में
तो किसी की धड़कनों में
धड़कता हूँ
मैं हवा हूँ, हर जगाह हूँ ।
तेरी आँखों में ,
तो किसी के सपनों में
मैं ही वसा हूँ ।
मैं ठहरता नही
कभी जमीन से
तो कभी आसमान से
पानी बन बहता नीर हूँ ।
मैं नीर हूँ,
ज़िस्म के खून
और जमीन की नदियों में
बहता नीर हूँ
किसी की आँखों से
तो किसी की ज़िस्म से
स्वेद बन टपकता नीर हूँ ।
मैं तो नीर हूँ,
हर जगह, परिपूर्ण हूँ।
ना सोच,
मैं रुक गया हूँ
और चार दिवारी के अँधेरे में,
मैं छिप गया हूँ
तेरी आँखों की रोशनी हूँ
तो किसी के मार्ग की चमक हूँ
मैं दूर अंतरिक्ष से आती
प्रकाश की किरण हूँ
जल कर,
तुमको जगाती किरण हूँ ।
मैं प्रकाश हूँ,
सभी के लिए पर्याप्त हूँ ।
मैं हवा हूँ,
मैं नीर हूँ
मैं प्रकाश की किरण हूँ ।