हमें क्या मालूम था !! ( शहीद-ऐ- आज़म भगत सिंह का दर्द )
हमें क्या मालूम था ,
आज़ाद भारत की यह तस्वीर होगी .
इस देश के लिए की गयी हमारी ,
सभी कुर्बानियां इस तरह ज़ाया होगी .
हमें क्या मालूम था की ,
लहू से सींचा जिस चमन को .
अमन औ चैन को बर्बाद कर ,
उतर आयेंगे सारे फूल बग़ावत को .
हमें क्या मालूम था जिसके लिए ,
हँसते- हँसते फांसी के फंदे को चूम लिया .
अपनी जिंदगी के सभी अरमां भुला कर ,
जवानी में बसंती चोला पहन लिया .
हमने खुद चुनी थी जब देशप्रेम की राह ,
तो देश पर निस्सार होना हमारा फ़र्ज़ था.
जो जन्म लिया इस मात्र-भूमि में हमने ,
तो माता का हम पर एक क़र्ज़ था.
हमें तो यह भी मालूम न था की हमारे देश-प्रेम ,
हमारी कुर्बानियों का हमें यह सिला मिलेगा .
वतन के प्यारे , आशिक-ऐ-हिन्द कहलवाने के बजाये ,
” आतंकवादी ” का तमगा हमें मिलेगा .
तुमने कभी देखी नहीं गुलामी और ,
और दुष्ट गोरे लोगों की यातनाएं .
तुम्हें मुफ्त में सौगात के रूप में मिली ,
आज़ाद भारत की खुश नुमा हवाएं .
मिला जब सब कुछ खैरात में ,
तो उसकी कद्र तुम कैसे करोगे ?
जो ना दे सके अब तक अपने देश को सम्मान.
हम परवानो को तो मामूली कीट ही समझोगे.
चलो ! तुम भले ही हमें सम्मान न दो ,
कोई भी आक्षेप या दुव्यवहार करो .
अपनी मात्रभूमि की खातिर हम सह लेंगे.
मगर तुम हमारी भारत माता को पीड़ा दो ,
उसकी कद्र न करो ,तो यह हम नहीं सहेंगे .
याद रखो ! कयामत के दिन तुम्हारे ,
किये गए ज़ुल्मों का हिसाब होगा.
तुम पायोगे खुद को ज़मीं पर कीड़ों की तरह रेंगते ,
और विधि के हाथों में खंजर होगा.
अब भी समय है ,होश में आ जाओ ,
और अपने गुनाहों से तौबा करो .
एक सच्चे , कर्तव्य-निष्ठ ,इम्मंदर नागरिक बनो ,
अपनी देशभक्ति की मिसाल कायम करो.