Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Jun 2021 · 1 min read

शहनाई : दर्द का साज

क्या अजब साज़ थी शहनाई ,
दिल के तारों को जो झनझनाती थी ।
खुशी हो या गम का समां हो ,
दिलों के तार से तार मिलाती थी ।
किसी दुल्हन की विदाई की बेला में ,
आंसुओं के संग आशिषों के स्वर घोलती थी ।
हमारी भारतीय संस्कृति / सभ्यता व् ,
शास्त्रीय संगीत के सर का ताज होती थी ।
मजहब को बांटना तो वो जानती ना थी ,
हिंदू – मुस्लिम सबकी शादियों में शामिल होती थी।
जब से हमारे देश में पश्चमी सभ्यता आई ,
सामाजिक समारोहों में इसकी उपस्थिति गौण हो गई ,
अब हमारी शहनाई जाने कहां गुम हो गई ।
शहनाई वादकों की भी रोजी रोटी छीन गई ।
कौन बनाएगा इसे वापस महफिलों की रौनक ,
कौन देगा इसे इसकी पहचान ?
जो भारतीय समाज की जान होती थी ।

Language: Hindi
4 Likes · 4 Comments · 386 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from ओनिका सेतिया 'अनु '
View all
You may also like:
अहंकार
अहंकार
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
काफी है
काफी है
Basant Bhagawan Roy
खट्टी-मीठी यादों सहित,विदा हो रहा  तेईस
खट्टी-मीठी यादों सहित,विदा हो रहा तेईस
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मेरे प्रेम पत्र
मेरे प्रेम पत्र
विजय कुमार नामदेव
उमंग
उमंग
Akash Yadav
भारत भूमि में पग पग घूमे ।
भारत भूमि में पग पग घूमे ।
Buddha Prakash
क्या होगा लिखने
क्या होगा लिखने
Suryakant Dwivedi
गीत - प्रेम असिंचित जीवन के
गीत - प्रेम असिंचित जीवन के
Shivkumar Bilagrami
"मुक्तिपथ"
Dr. Kishan tandon kranti
आश किरण
आश किरण
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
कुछ मज़ा ही नही,अब जिंदगी जीने मैं,
कुछ मज़ा ही नही,अब जिंदगी जीने मैं,
गुप्तरत्न
*आगे आनी चाहिऍं, सब भाषाऍं आज (कुंडलिया)*
*आगे आनी चाहिऍं, सब भाषाऍं आज (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
* जिन्दगी में *
* जिन्दगी में *
surenderpal vaidya
कोई शाम आयेगी मेरे हिस्से
कोई शाम आयेगी मेरे हिस्से
Amit Pandey
माँ महान है
माँ महान है
Dr. Man Mohan Krishna
इंसान चाहे कितना ही आम हो..!!
इंसान चाहे कितना ही आम हो..!!
शेखर सिंह
कैसे चला जाऊ तुम्हारे रास्ते से ऐ जिंदगी
कैसे चला जाऊ तुम्हारे रास्ते से ऐ जिंदगी
देवराज यादव
फितरत के रंग
फितरत के रंग
प्रदीप कुमार गुप्ता
अधूरी मुलाकात
अधूरी मुलाकात
Neeraj Agarwal
#दोहा
#दोहा
*Author प्रणय प्रभात*
ग़ज़ल/नज़्म: सोचता हूँ कि आग की तरहाँ खबर फ़ैलाई जाए
ग़ज़ल/नज़्म: सोचता हूँ कि आग की तरहाँ खबर फ़ैलाई जाए
अनिल कुमार
I Can Cut All The Strings Attached
I Can Cut All The Strings Attached
Manisha Manjari
सरहद
सरहद
लक्ष्मी सिंह
नयी शुरूआत
नयी शुरूआत
Dr fauzia Naseem shad
मुझे  बखूबी याद है,
मुझे बखूबी याद है,
Sandeep Mishra
ज़िंदगी मेरी दर्द की सुनामी बनकर उभरी है
ज़िंदगी मेरी दर्द की सुनामी बनकर उभरी है
Bhupendra Rawat
जाने क्यूं मुझ पर से
जाने क्यूं मुझ पर से
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
बालकों के जीवन में पुस्तकों का महत्व
बालकों के जीवन में पुस्तकों का महत्व
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
प्यार का बँटवारा
प्यार का बँटवारा
Rajni kapoor
हैवानियत
हैवानियत
Shekhar Chandra Mitra
Loading...