“शर्म करते हैं”
“शर्म करते हैं”
तुम तो नहीं हम ही शर्म करते हैं
तुम्हारे लिये इतना तो मर्म रखते हैं
गिर गयी है तुम्हारे आँख की पानी
होश खो करते हो अपनी मनमानी
रहते हैं पैरों तले कई तुम जैसे हमारे
औकात ही नहीं कोई रहे साथ तुम्हारे
लाचार होगी माँ वो दुनियाँ में जो लायी
तेरे आने की खुशी में प्यारी माँ कहलायी
अपना नही तो उनका मान रखा होता
अपमान कर नारी का ना सम्मान खोता
इन छोटे कर्मों से कितने नीचे गिर गये
माँ की कोख को तुम बदनाम कर दिये
नहीं कभी चाह थी कि तुम बनते ऐसे
गलती कर माँ से नजरे मिलाते हो कैसे
पल में ही कहाँ से कहाँ ला खड़ा किये
माँ बनने की क्यों इतनी बड़ी सजा दिये
कलंकित ना कर कोख को देना सम्मान सीख
माँ हूँ और माँगती माँ की तरह तुमसे यही भीख
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तुम तो नहीं हम ही शर्म करते हैं
तुम्हारे लिये इतना तो मर्म रखते हैं
गिर गयी है तुम्हारे आँख की पानी
होश खो करते हो अपनी मनमानी
रहते हैं पैरों तले कई तुम जैसे हमारे
औकात ही नहीं कोई रहे साथ तुम्हारे
लाचार होगी माँ वो दुनियाँ में जो लायी
तेरे आने की खुशी में प्यारी माँ कहलायी
अपना नही तो उनका मान रखा होता
अपमान कर नारी का ना सम्मान खोता
इन छोटे कर्मों से कितने नीचे गिर गये
माँ की कोख को तुम बदनाम कर दिये
नहीं कभी चाह थी कि तुम बनते ऐसे
गलती कर माँ से नजरे मिलाते हो कैसे
पल में ही कहाँ से कहाँ ला खड़ा किये
माँ बनने की क्यों इतनी बड़ी सजा दिये
कलंकित ना कर कोख को देना सम्मान सीख
माँ हूँ और माँगती माँ की तरह तुमसे यही भीख
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