शराफ़त का अब तो नही है ज़माना
शराफ़त का अब —- तो नहीं है ज़माना
जो इक मारे थप्पड़ तो दो तुम लगाना
—–??—–
कभी सोच गांधी —- सी आए न दिल में,
जहाँ को भगत जैसा बन के दिखाना
—–??——
हमारे वतन को ——–जो आँखें गिखाये,
उसे राह मुल्के़ – अदम —– की दिखाना
——???—–
बहू बेटियों की—— जो समझे न इज्जत
उन्हें भी हिदायत की ———-पोथी पढ़ाना
——??—–
जिधर तीरगी का ————-घना हो बसेरा,
मुहब्बत का दीपक ——- उधर भी जलाना
——??—–
हिमायत जो करते हैं —- अम्नो – अमां की
उन्हें आगे बढ़ कर——– गले से लगाना
. —–??——
जिओ या मरो मुल्क—– पे अपने “प्रीतम”
मिलेगा तुम्हें आख़रत ———- में ठिकाना