शरद पूर्णिमा(मुक्तक)
शरद पूर्णिमा (मुक्तक)
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मधुमय शरद की पूर्णिमा का चाँद मुस्काता
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चमचम चमकती चाँदनी में गीत कुछ गाता
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निर्मल दिखा आकाश , तारे शीत को लाते हुए
बरसा रहा अमृत कि जैसे चाँद मस्ताता
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रचयिता : रवि प्रकाश , रामपुर