शब्द तौल कर बोलो
प्रेमी बन प्रेमिका से
बगली झाक अटालिका से
लड़के ने फरमाया
वाह क्या माल लगती है
चटक गुलाबी ड्रेस में
तू तो वाकई कमाल लगती है,
जी करता है तेरे लिए जीऊं
तेरे लिए मर जाऊं
ता उम्र देवदास रहूं
या फिर मजनूँ हो जाऊं।
तू कहे तो रोऊँ
तू कहें तो गाऊँ
तेरे लिए कुछ भी कर जाऊँ।
क्या तू मुझे स्वीकार करेगी
प्रेमिका बन मेरे सपने को
ताउम्र साकार करेगी
बतला दे तूं तेरा मुझ पर
यह बड़ा उपकार होगा
वर्ष भर तेरे लिए मन में मेरे
अपार सम्मान होगा।
सुनकर बाते लड़के की
कन्या मुस्कुराई
थोड़ी सी सकुचाई
तनिक नहीं घबड़ाई
मुख खोल शब्दों में अपने
मधुर रागिनी घोली
प्रश्न जनित नैनो से तक कर
फिर हौले से बोली।
ऐ वर्ष भर का चक्कर क्या?
हमें तो बतलाओं
वर्षान्त के बाद क्या?
वह भी तो समझाओ।
कभी लैला समझते तुम
कभी तुम माल कहते हो
उपमा पारो की देते हो
कभी कमाल कहते हो
अब तुम्हीं बताओ कैसे
मैं तुझ पर विश्वास करूं
इन द्विअर्थी बातों का
कैसे मैं सम्मान करुं?
लड़के ने सुनी बात
परेशान हो गया,
तौल खुद के शब्दों को
शर्मसार हो गया।
अतः शब्द बोलो वहीं
जो स्वच्छ और अच्छा हो
मिश्री से मीठा
सीतल व सच्चा हो।।
पं.संजीव शुक्ल”सचिन”
9560335952
26/04/2017