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28 Dec 2018 · 1 min read

शब्दों की क्या औक़ात

शब्दों की क्या औकात वक्त बोलता है
वक्त का मारा कहां-कहां नहीं डोलता है
आदमी जुबां कब खोलता है
बेचारा नपा-तुला ही बोलता है
वक्त मज़बूत कर देता आदमी
वर्ना मुँह नहीं खोलता आदमी
शब्दों की क्या औकात वक्त बोलता है
आदमी तोलता है वक्त बेवक्त बोलता है
वक्त शब्दों की नुमाईश करता है
शब्द-अपशब्द कब-कब बोलता है
शब्दों की क्या औकात वक्त बोलता है
धुरंधरों को चटा धूल वक्त बोलता है
धीरे-धीरे वक्त-बेवक्त-वक्त-पर्दे खोलता है
शब्दों की क्या औकात वक्त बोलता है
वक्त अच्छा या बुरा कब होता है
अवसर खो वक्त तो वक्त होता है
घुन-शब्दों का कर खोखला अंतर्मन
यूं ही जगत में क्योंकर डोलता है
अच्छा या बुरा वक्त तो गुज़र जायेगा”मधूप’
आदमी से आदमी क्योंकर नहीं बोलता है
वक्त बदल जाता है आदमी वही रहता है
क्या गारंटी आदमी जमीं पर वहीं रहता है
आसमां में उड़ता आदमी जमीं से कहता है
देख मैं तुझसे दूर अपनी औकात रखता हूं
उसे गुमां मैं आसमां पंछी मुक्त-गगन डेरा
गिरता-आसमां से गिद्धों ने उसी जमीं घेरा
बोलता क्यों बोल बड़बोले इतने प्यारे
शब्दों की क्या औकात वक्त बोलता है ।।
मधुप बैरागी

Language: Hindi
2 Likes · 337 Views
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