Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Jan 2017 · 1 min read

**** शत्रु के प्रति क्षमा भाव रखे *****

**** शत्रु के प्रति क्षमा भाव रखे *****

किसी ने सच ही कहा है की – देने वाला देता है तो छप्पड़ फाड़कर देता है | उद्यमी , दानवीर कभी भी अपनी
प्रसंशा खुद नहीं करते है और समाचार , पत्र – पत्रिकाएं में नाम दर्ज करना यह भी पसंद नहीं करते है |
अपनी योजना व कार्यकलाप यही जानकारी हो , इस उद्देश्य से कभी – कभी जानकारी देते रहते है |
उनका मन उदार रहता है , सदा धार्मिक व सामाजिक कार्य में व्यस्त रहते है | उनका मन उदार रहता है ,
सदा धार्मिक व सामाजिक कार्य में व्यस्त रहते है | किसी भी प्राणी ( मानव ) की भावना को दुःखाना ऐसा
कार्य करते नहीं है | ऐसे आदमी की संगत हमेशा संत लोगो से ही रहती है , इसलिए आचार – विचार उत्तम रहते है |
दानवीरो , उद्यमी को भली – भांति ज्ञात है की मित्र से ज्यादा शत्रु प्रगति के लिए प्रेरणा देता है |

* शत्रु ही हमेशा सजग रहने की प्रेरणा देता है |
* मित्रो की तरह विस्वासघात भी नहीं करता है शत्रु |
* मित्र ही शत्रु बना है |

इसलिए शत्रु के प्रति रहम भाव ( क्षमाभाव ) रखे |
लेकिन प्रायः देखा , सुना की इनके साथी , मित्र स्वार्थी सभाव और तरक्की की लालची प्रवुत्ति रखकर हमेशा
गुमराह करते रहते है एव हमेशा अपना उल्लू सीधा करने के फिराक में रहते है | ऐसे आदमी का समय भी
ज्यादा लंबा रहता है और अंत भी देखने लायक रहता है |

– राजू गजभिये
दर्शना मार्गदर्शन केंद्र , बदनावर जिला धार ( मध्य प्रदेश)

Language: Hindi
285 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*
*"घंटी"*
Shashi kala vyas
अंतिम क्षण में अपना सर्वश्रेष्ठ दें।
अंतिम क्षण में अपना सर्वश्रेष्ठ दें।
Bimal Rajak
अनजान लड़का
अनजान लड़का
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
इश्क की रूह
इश्क की रूह
आर एस आघात
प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
जी चाहता है रूठ जाऊँ मैं खुद से..
जी चाहता है रूठ जाऊँ मैं खुद से..
शोभा कुमारी
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
पग पग पे देने पड़ते
पग पग पे देने पड़ते
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
काग़ज़ ना कोई क़लम,
काग़ज़ ना कोई क़लम,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
"तब कोई बात है"
Dr. Kishan tandon kranti
फिर मिलेंगे
फिर मिलेंगे
साहित्य गौरव
2767. *पूर्णिका*
2767. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सब्जियां सर्दियों में
सब्जियां सर्दियों में
Manu Vashistha
सापटी
सापटी
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
एक मुक्तक
एक मुक्तक
सतीश तिवारी 'सरस'
इन बादलों की राहों में अब न आना कोई
इन बादलों की राहों में अब न आना कोई
VINOD CHAUHAN
तुम मुझे देखकर मुस्कुराने लगे
तुम मुझे देखकर मुस्कुराने लगे
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
एक काफ़िर की दुआ
एक काफ़िर की दुआ
Shekhar Chandra Mitra
शिछा-दोष
शिछा-दोष
Bodhisatva kastooriya
रूबरू मिलने का मौका मिलता नही रोज ,
रूबरू मिलने का मौका मिलता नही रोज ,
Anuj kumar
अहमियत हमसे
अहमियत हमसे
Dr fauzia Naseem shad
हे दिनकर - दीपक नीलपदम्
हे दिनकर - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
कॉटेज हाउस
कॉटेज हाउस
Otteri Selvakumar
*आँखों से  ना  दूर होती*
*आँखों से ना दूर होती*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*क्या हाल-चाल हैं ? (हास्य व्यंग्य)*
*क्या हाल-चाल हैं ? (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
#सनातन_सत्य
#सनातन_सत्य
*Author प्रणय प्रभात*
अब मैं बस रुकना चाहता हूं।
अब मैं बस रुकना चाहता हूं।
PRATIK JANGID
बाबा नीब करौरी
बाबा नीब करौरी
Pravesh Shinde
सुना है सपनों की हाट लगी है , चलो कोई उम्मीद खरीदें,
सुना है सपनों की हाट लगी है , चलो कोई उम्मीद खरीदें,
Manju sagar
प्याली से चाय हो की ,
प्याली से चाय हो की ,
sushil sarna
Loading...