शक्ति छंद
#विधा – शक्ति छंद
*****#प्रथम_प्रयास_सादर_समीक्षार्थ****
फैसले की घड़ी
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घड़ी फैसले की अभी है अभी।
अजी देखलो सोचना फिर कभी।
चुनावी समर का बिगुल है बजा।
किसे ताज देनी किसे है सजा।।
न सोचो चलो फर्ज के राह पर।
पहल अब यहीं हो चुने थाह कर।
न फसना किसी से न बिकना कभी।
गरल देखकर भी न चखना सभी।।
भला राजनेता करेगा भला।
बुरा जो मिला फिर दबाये गला।
लिखो आज इतिहास मौका बड़ा।
नहीं सोचना कौन अपना खड़ा।।
न हो देश का अब कहीं कुछ बुरा।
न जयचंद कोई चुभोये छुरा।
चलो देख लें राष्ट्र का क्या भला।
मिला है ये मौका दिखाये कला।।
……स्वरचित, स्वप्रमाणित
✍️पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
?? मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण, बिहार