Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Mar 2019 · 1 min read

शक्ति छंद

#विधा – शक्ति छंद
*****#प्रथम_प्रयास_सादर_समीक्षार्थ****
फैसले की घड़ी
***************************
घड़ी फैसले की अभी है अभी।
अजी देखलो सोचना फिर कभी।
चुनावी समर का बिगुल है बजा।
किसे ताज देनी किसे है सजा।।

न सोचो चलो फर्ज के राह पर।
पहल अब यहीं हो चुने थाह कर।
न फसना किसी से न बिकना कभी।
गरल देखकर भी न चखना सभी।।

भला राजनेता करेगा भला।
बुरा जो मिला फिर दबाये गला।
लिखो आज इतिहास मौका बड़ा।
नहीं सोचना कौन अपना खड़ा।।

न हो देश का अब कहीं कुछ बुरा।
न जयचंद कोई चुभोये छुरा।
चलो देख लें राष्ट्र का क्या भला।
मिला है ये मौका दिखाये कला।।
……स्वरचित, स्वप्रमाणित
✍️पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
?? मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण, बिहार

Language: Hindi
212 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from संजीव शुक्ल 'सचिन'
View all
You may also like:
फिर नमी आ गई
फिर नमी आ गई
Dr fauzia Naseem shad
कवर नयी है किताब वही पुराना है।
कवर नयी है किताब वही पुराना है।
Manoj Mahato
हम स्वान नहीं इंसान हैं!
हम स्वान नहीं इंसान हैं!
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
देखा तुम्हें सामने
देखा तुम्हें सामने
Harminder Kaur
जी करता है...
जी करता है...
डॉ.सीमा अग्रवाल
सुबह होने को है साहब - सोने का टाइम हो रहा है
सुबह होने को है साहब - सोने का टाइम हो रहा है
Atul "Krishn"
2322.पूर्णिका
2322.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
आओ आज तुम्हें मैं सुला दूं
आओ आज तुम्हें मैं सुला दूं
Surinder blackpen
दोस्त मेरे यार तेरी दोस्ती का आभार
दोस्त मेरे यार तेरी दोस्ती का आभार
Anil chobisa
तेरा यूं मुकर जाना
तेरा यूं मुकर जाना
AJAY AMITABH SUMAN
जनतंत्र
जनतंत्र
अखिलेश 'अखिल'
गुरुवर
गुरुवर
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
आंखो के पलको पर जब राज तुम्हारा होता है
आंखो के पलको पर जब राज तुम्हारा होता है
Kunal Prashant
हर शाखा से फूल तोड़ना ठीक नहीं है
हर शाखा से फूल तोड़ना ठीक नहीं है
कवि दीपक बवेजा
*वरमाला वधु हाथ में, मन में अति उल्लास (कुंडलियां)*
*वरमाला वधु हाथ में, मन में अति उल्लास (कुंडलियां)*
Ravi Prakash
सौंदर्यबोध
सौंदर्यबोध
Prakash Chandra
कर मुसाफिर सफर तू अपने जिंदगी  का,
कर मुसाफिर सफर तू अपने जिंदगी का,
Yogendra Chaturwedi
जीवन जीते रहने के लिए है,
जीवन जीते रहने के लिए है,
Prof Neelam Sangwan
वह दौर भी चिट्ठियों का अजब था
वह दौर भी चिट्ठियों का अजब था
श्याम सिंह बिष्ट
फूली सरसों…
फूली सरसों…
Rekha Drolia
सदा बढ़ता है,वह 'नायक' अमल बन ताज ठुकराता।
सदा बढ़ता है,वह 'नायक' अमल बन ताज ठुकराता।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
जिंदगी एडजस्टमेंट से ही चलती है / Vishnu Nagar
जिंदगी एडजस्टमेंट से ही चलती है / Vishnu Nagar
Dr MusafiR BaithA
साथ
साथ
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
जब जब जिंदगी में  अंधेरे आते हैं,
जब जब जिंदगी में अंधेरे आते हैं,
Dr.S.P. Gautam
सुख-साधन से इतर मुझे तुम दोगे क्या?
सुख-साधन से इतर मुझे तुम दोगे क्या?
Shweta Soni
"उल्लास"
Dr. Kishan tandon kranti
जो होता है आज ही होता है
जो होता है आज ही होता है
लक्ष्मी सिंह
चिड़िया
चिड़िया
Kanchan Khanna
अटल
अटल
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
Loading...