*”शक्तिदायनी’*
“शक्तिदायिनी”
हर खुशी से नवाजा दुःखो से हर लेती संकट हारिणी।
प्रकृति भद्रकाली कपालिनी रौद्र रूपी गौरी धात्री सुखदायिनी।
लक्ष्मी बन शवर्णी स्वरूपदायिनी सर्वस्वभूता सर्वकारिणी।
विष्णुमाया बुद्धि स्वरूपा निद्रास्वरूप स्थितदेवी प्रदायिनी।
समस्त जीवों में क्षुदारूप छाया रूपेण संस्थिता सुखदायिनी।
क्षमारूपी विद्यमान होकर क्षमादान सौम्य रूप प्रदायिनी।
जातिरूपेण संस्थिता लज्जारूप कांतिरुप प्रदायिनी।
सौम्य रूप में आधार स्वरूपदायिनी अभिनंदन प्रदायिनी।
स्मृति रूप दयारूपेण भ्रान्तिरूप स्वरूप प्रदायिनी।
सृष्टि रचना के चैतन्य रूप में व्यापक रूप प्रदायिनी।
अष्ट सिद्धि नवनिधियों के दाता कल्याण कारिणी।
मंगलभाव प्रदान करती आपदाओं के निवारण कारिणी।
देवगणों के चरणों से भक्तिमय भक्तिज्ञान प्रदायिनी।
सुंदर भृकुटियों वाली नैना देवी त्रिलोकी कौशिकी प्रदायिनी।
चण्ड मुण्ड संहार करती असुराधि का नाश कारिणी।
हिमालय पर्वत से उद्दासित हो चारों दिशाओं में गुंजार प्रदायिनी।
स्त्री रत्न धारण अंगों की आभा लिए आलोकित कर निहारणी।
समस्त प्राणियों के चेतना को जगाती ख्याति प्राप्त स्वरूपदायिनी।
जय माता दी