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12 Jan 2018 · 1 min read

वक़्त और सपने

चलता रहता वक़्त ये, रुके न इसकी चाल
जितने पूरे कर सके , सपने उतने पाल
सपने उतने पाल, आँक तू अपनी ताकत
करने इनको पूर्ण, लगे साँसों की लागत
कहे ‘अर्चना’ बात, बाद में हमको खलता
व्यर्थ गँवाया वक़्त, पता जब हमको चलता

12-01-2018
डॉ अर्चना गुप्ता

1 Like · 485 Views
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