Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Nov 2018 · 1 min read

व्यस्त मानव

मानव का आधुनिक होना अब बहुत खलता है।
हाथ पकड़कर मजे में चलना अब कहाँ चलता है।।
कल मानव में प्रेम बहुत था आज रार पलता है।
मानव का मानव से मिलना भूलवश ही दिखता है।।
कल मानव के पास समय बहुत था आज व्यस्त दिखता है।
कल मानव धनविहिन था आज धनाढय दिखता है।।
कल मानव शिष्ट बहुत था आज अशिष्ट दिखता है।
कल मानव मिलकर था खाता,हँसता गाता और गुनगुनाता।
आज मानव छुपकर है रहता,हरदम यह सोचता रहता…
क्या कर जाऊँ कि धन में सोऊँ और धन में ही बस जाऊँ।।

Language: Hindi
374 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
■ मन गई राखी, लग गया चूना...😢
■ मन गई राखी, लग गया चूना...😢
*Author प्रणय प्रभात*
चरित्र साफ शब्दों में कहें तो आपके मस्तिष्क में समाहित विचार
चरित्र साफ शब्दों में कहें तो आपके मस्तिष्क में समाहित विचार
Rj Anand Prajapati
दूसरों की राहों पर चलकर आप
दूसरों की राहों पर चलकर आप
Anil Mishra Prahari
दोहा- दिशा
दोहा- दिशा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
नौ वर्ष(नव वर्ष)
नौ वर्ष(नव वर्ष)
Satish Srijan
DR arun कुमार shastri
DR arun कुमार shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"जब आपका कोई सपना होता है, तो
Manoj Kushwaha PS
कविता
कविता
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
श्री श्रीचैतन्य महाप्रभु
श्री श्रीचैतन्य महाप्रभु
Pravesh Shinde
आंखों में
आंखों में
Dr fauzia Naseem shad
"काल-कोठरी"
Dr. Kishan tandon kranti
बादल को रास्ता भी दिखाती हैं हवाएँ
बादल को रास्ता भी दिखाती हैं हवाएँ
Mahendra Narayan
2989.*पूर्णिका*
2989.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हश्र का मंज़र
हश्र का मंज़र
Shekhar Chandra Mitra
वैसे जीवन के अगले पल की कोई गारन्टी नही है
वैसे जीवन के अगले पल की कोई गारन्टी नही है
शेखर सिंह
तेरा हम परदेशी, कैसे करें एतबार
तेरा हम परदेशी, कैसे करें एतबार
gurudeenverma198
विजेता सूची- “सत्य की खोज” – काव्य प्रतियोगिता
विजेता सूची- “सत्य की खोज” – काव्य प्रतियोगिता
Sahityapedia
गुमशुदा लोग
गुमशुदा लोग
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
दोहावली...(११)
दोहावली...(११)
डॉ.सीमा अग्रवाल
हर एक भाषण में दलीलें लाखों होती है
हर एक भाषण में दलीलें लाखों होती है
कवि दीपक बवेजा
अनसोई कविता...........
अनसोई कविता...........
sushil sarna
!! पलकें भीगो रहा हूँ !!
!! पलकें भीगो रहा हूँ !!
Chunnu Lal Gupta
बाधाएं आती हैं आएं घिरे प्रलय की घोर घटाएं पावों के नीचे अंग
बाधाएं आती हैं आएं घिरे प्रलय की घोर घटाएं पावों के नीचे अंग
पूर्वार्थ
'विडम्बना'
'विडम्बना'
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
लाश लिए फिरता हूं
लाश लिए फिरता हूं
Ravi Ghayal
कुदरत
कुदरत
manisha
संतोष करना ही आत्मा
संतोष करना ही आत्मा
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
इश्क समंदर
इश्क समंदर
Neelam Sharma
बोलो ! ईश्वर / (नवगीत)
बोलो ! ईश्वर / (नवगीत)
ईश्वर दयाल गोस्वामी
पावस की रात
पावस की रात
लक्ष्मी सिंह
Loading...