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26 Nov 2018 · 1 min read

वो रचियता, तुम ही तो हो, मां !

✍️
मेरे आगमन की सूचना को, प्रथम जिसने बतलाया,
मेरी हरकतों को, अहसास कर जिसने बतलाया,
वो तुम ही तो हो मां, हां मां तुम ही तो हो!
मेरी पहली चीख पर,जिसने मुस्कुरा गले लगाया,
मेरी हर चोटदर्द पर, मलहम पट्टी कर सहलाया,
टेढ़ी मेढ़ी राहों पर,ता ता थैया चलना सिखलाया,
वो तुम ही तो हो मां, हां मां तुम ही तो हो!
रंग बिरंगे चित्रों में,ना जाने कितना रंग बिखराया,
अ आ इ ई की लकीरों से पन्नों में क्या ख्वाब सजाया,
लिखती तो खूब हूं पर,पकड़ हाथ लिखना सिखलाया,
वो तुम ही तो हो मां, हां मां तुम ही तो हो!
मनु वाशिष्ठ, कोटा जंक्शन राज.

8 Likes · 36 Comments · 532 Views
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