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23 Jul 2020 · 1 min read

वो मेरी ग़जल

मेरे नज़्म की तरह, वो भी एक ग़ज़ल है,
उस गजल का हर लफ्ज़ मेरे कानो में गूंजा करता है,
वो मेरी प्रीत है, वो मेरी मीत है,
उसका मुझसे संगम होना, मेरे इश्क़ की जीत है !

वो बेसुध होकर, मेरे मन को सजाया करती है,
यादो के धागो में, मुझे पिरोया करती है,
जज्बातों के रंग में, कई उमंग जगाया करती है,
मैं क्यूँ न कहूं कि…. वो मेरे रग -रग में समाया करती है,
वो एक गजल है, मस्ती से भरी,
जो मेरे दिल पे…रौब खाया करती है !!

वो हरदम मुस्कुराया करती, वो गुनगुनाया करती है,
वो मेरी ग़ज़ल, वो मेरी नज़र,
वो मेरी शरम, वो मेरी उमर !!
❤Love Ravi❤

4 Likes · 6 Comments · 244 Views
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