Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Dec 2019 · 1 min read

वो बचपन की याद बहुत सताती है।

पीपल की छाया
ममता की साया
माँ की गोद रूलाती है
वो बचपन की याद
बहुत सताती है..

दादी की लोरी
बचपन की चोरी
हमें बहुत रूलाती है
वो बचपन की याद
बहुत सताती है..

खिलौने की माया
बचपन की काया
हमें बहुत तड़पाती है
वो बचपन की याद
बहुत सताती है..

#राजन कुमार साह

Language: Hindi
439 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
भारत माता की संतान
भारत माता की संतान
Ravi Yadav
!! कुछ दिन और !!
!! कुछ दिन और !!
Chunnu Lal Gupta
मैं ऐसा नही चाहता
मैं ऐसा नही चाहता
Rohit yadav
जय मातु! ब्रह्मचारिणी,
जय मातु! ब्रह्मचारिणी,
Neelam Sharma
हकीकत जानते हैं
हकीकत जानते हैं
Surinder blackpen
परिस्थिति का मैं मारा हूं, बेचारा मत समझ लेना।
परिस्थिति का मैं मारा हूं, बेचारा मत समझ लेना।
सत्य कुमार प्रेमी
फनकार
फनकार
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
भूल गई
भूल गई
Pratibha Pandey
मेरी बेटियाँ और उनके आँसू
मेरी बेटियाँ और उनके आँसू
DESH RAJ
-- अजीत हूँ --
-- अजीत हूँ --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
नववर्ष
नववर्ष
Vandana Namdev
हम कितने आजाद
हम कितने आजाद
लक्ष्मी सिंह
3027.*पूर्णिका*
3027.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*ऐसा स्वदेश है मेरा*
*ऐसा स्वदेश है मेरा*
Harminder Kaur
सोचा होगा
सोचा होगा
संजय कुमार संजू
सिलसिला ए इश्क
सिलसिला ए इश्क
सुशील कुमार सिंह "प्रभात"
जिनसे जिंदा हो,उनको कतल न करो
जिनसे जिंदा हो,उनको कतल न करो
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कुछ लोग अच्छे होते है,
कुछ लोग अच्छे होते है,
Umender kumar
ख्वाइश है …पार्ट -१
ख्वाइश है …पार्ट -१
Vivek Mishra
कि लड़का अब मैं वो नहीं
कि लड़का अब मैं वो नहीं
The_dk_poetry
* रंग गुलाल अबीर *
* रंग गुलाल अबीर *
surenderpal vaidya
फिर नमी आ गई
फिर नमी आ गई
Dr fauzia Naseem shad
हरमन प्यारा : सतगुरु अर्जुन देव
हरमन प्यारा : सतगुरु अर्जुन देव
Satish Srijan
तब घर याद आता है
तब घर याद आता है
कवि दीपक बवेजा
क्योंकि मै प्रेम करता हु - क्योंकि तुम प्रेम करती हो
क्योंकि मै प्रेम करता हु - क्योंकि तुम प्रेम करती हो
Basant Bhagawan Roy
*आए जब से राम हैं, चारों ओर वसंत (कुंडलिया)*
*आए जब से राम हैं, चारों ओर वसंत (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
आज का चयनित छंद
आज का चयनित छंद"रोला"अर्ध सम मात्रिक
rekha mohan
कभी मिले नहीं है एक ही मंजिल पर जानें वाले रास्तें
कभी मिले नहीं है एक ही मंजिल पर जानें वाले रास्तें
Sonu sugandh
ये मेरे घर की चारदीवारी भी अब मुझसे पूछती है
ये मेरे घर की चारदीवारी भी अब मुझसे पूछती है
श्याम सिंह बिष्ट
Loading...