Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Jul 2020 · 1 min read

वो देख के

वो देख के, मुझ से मुँह फेर लेती है,
बस इसी बात पे दुनिया घेर लेती है ।।

#हनीफ़_शिकोहाबादी ✍️

Language: Hindi
Tag: शेर
1 Like · 346 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
वाह टमाटर !!
वाह टमाटर !!
Ahtesham Ahmad
From dust to diamond.
From dust to diamond.
Manisha Manjari
■ बेहद शर्मनाक...!!
■ बेहद शर्मनाक...!!
*Author प्रणय प्रभात*
कितना रोका था ख़ुद को
कितना रोका था ख़ुद को
हिमांशु Kulshrestha
*श्रम से पीछे कब रही, नारी महिमावान (कुंडलिया)*
*श्रम से पीछे कब रही, नारी महिमावान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
देखो-देखो आया सावन।
देखो-देखो आया सावन।
लक्ष्मी सिंह
साँप और इंसान
साँप और इंसान
Prakash Chandra
महल चिन नेह का निर्मल, सुघड़ बुनियाद रक्खूँगी।
महल चिन नेह का निर्मल, सुघड़ बुनियाद रक्खूँगी।
डॉ.सीमा अग्रवाल
मेरी नज़रों में इंतिख़ाब है तू।
मेरी नज़रों में इंतिख़ाब है तू।
Neelam Sharma
शांति दूत वह बुद्ध प्रतीक ।
शांति दूत वह बुद्ध प्रतीक ।
Buddha Prakash
सुबह की चाय हम सभी पीते हैं
सुबह की चाय हम सभी पीते हैं
Neeraj Agarwal
एक गजल
एक गजल
umesh mehra
पर्यावरण प्रतिभाग
पर्यावरण प्रतिभाग
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
देह धरे का दण्ड यह,
देह धरे का दण्ड यह,
महेश चन्द्र त्रिपाठी
💐अज्ञात के प्रति-57💐
💐अज्ञात के प्रति-57💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस
अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
आधुनिक नारी
आधुनिक नारी
Dr. Kishan tandon kranti
आज भी अधूरा है
आज भी अधूरा है
Pratibha Pandey
मुझे मिले हैं जो रहमत उसी की वो जाने।
मुझे मिले हैं जो रहमत उसी की वो जाने।
सत्य कुमार प्रेमी
अपना समझकर ही गहरे ज़ख्म दिखाये थे
अपना समझकर ही गहरे ज़ख्म दिखाये थे
'अशांत' शेखर
युवा भारत को जानो
युवा भारत को जानो
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
जल खारा सागर का
जल खारा सागर का
Dr Nisha nandini Bhartiya
वोट डालने जाएंगे
वोट डालने जाएंगे
Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे
अपनों के अपनेपन का अहसास
अपनों के अपनेपन का अहसास
Harminder Kaur
दर्द का बस
दर्द का बस
Dr fauzia Naseem shad
3005.*पूर्णिका*
3005.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कभी कभी ज़िंदगी में जैसे आप देखना चाहते आप इंसान को वैसे हीं
कभी कभी ज़िंदगी में जैसे आप देखना चाहते आप इंसान को वैसे हीं
पूर्वार्थ
चार कदम चलने को मिल जाता है जमाना
चार कदम चलने को मिल जाता है जमाना
कवि दीपक बवेजा
संस्कारों के बीज
संस्कारों के बीज
Dr. Pradeep Kumar Sharma
वीरगति
वीरगति
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
Loading...