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18 Nov 2017 · 1 min read

वो जीने की अब दुहाई दे रहा

वो जीने की अब दुहाई दे रहा
अश्क आँखों में उसके दिखाई दे रहा

आँखों का छिपा हुआ दर्द
अब लबों से सफाई दे रहा

राही बहुत है सफर के
हमसफ़र कोई नही दिखाई दे रहा

इंसानो की इस खूबसूरत दुनिया में
हर कोई हैवान मुझे दिखाई दे रहा

चार दिन की इस दुनिया में
झूठ ही झूठ हर तरफ दिखाई दे रहा

अंजाम से वाकिफ़ है इंसान यहां
स्वार्थ का लिबाज़ उन पर दिखाई दे रहा

मर गई रूह इंसानो की जीस्त से
ज़िंदा लाश पर लिबाज़ दिखाई दे रहा

माता पिता के चरणों का स्वर्ग
आज पत्थर की मूर्ती में दिखाई दे रहा

भूपेंद्र रावत
15/11/2017

1 Like · 268 Views
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