&वो गुलशन मेरा ऐसे ही उजाड़ चला गया&
वो गुलशन मेरा ऐसे ही उजाड़ चला गया
★चल रहे थे राह पर,
पैरो में काँटा आ गया।
दिल का दर्द निकलकर।
आंखों से बह गया।
★दिल का अरमान,
निकल लबों पर आ गया।
जमीं पर की इबाबदत,
ख़ुदा आसमाँ पर कबुल कर गया।।
★जिसे चाहा था दिलो जाँ से
वो बेवफा बदल गया,
भरी महफ़िल में मेरा प्यार ,
बेदर्द बेहया निकल गया।
★ करते थे जाँ निशार,
उनकी हर अदा पर,
वो जालिम अब प्यार का ,
सौदागर निकल गया।
★ जागे थे रात रात जिनकी यादों हम,
वो मेरी मुफ़लिस गरीबी देख ,
महलों की चकाचोन्द पाते ही बदल गया।
★चला गया वो खुशियों के नए बाग में,
आती नही महक फूलो के बगैर फ़िजा में,,
वो गुलशन मेरे दिल का ऐसे ही उजाड़ चला गया।
गायत्री सोनू जैन मन्दसौर