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15 Jan 2019 · 2 min read

*** वो उड़ती हुई पतंग ***

।। श्री परमात्मने नमः ।।
***लघु कथा ***
*** वो उड़ती हुई पतंग***
बचपन के वो सुहाने दिनों की याद करते हुए जब मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की होड लगी हुई रहती है लेकिन हमें घर वालों को पतंग उड़ाने के लिए छत पर डर लगता था कहीं पतंग उड़ाते हुए गिर पड़े और लेने के देने कहीं हाथ पैर में चोट न लग जाये ऐसी स्थिति में पतंग उड़ाने की इजाजत नहीं दी जाती थी लेकिन मेरा भाई मानता ही नही था और चुपके चुपके से रंगीन कागज, आटे की लुगदी ,सिंक बांस की छोटी छोटी लकड़ी का टुकड़ा काटकर सभी चीजें तैयारी करके ऊपर छत पर चले जाता था और पतंग उड़ाने को कांच के टुकड़े से मांझना याने तेज धारी करते हुए उसके हाथों में खून निकलने लगता था और छाले पड़ जाते थे लेकिन अपनी धुन में उसे कुछ सूझता ही नही था।
यह सभी काम पतंग बनाने मॉन्झा बनाने का तब करता था जब हम दोपहर को सोते रहते और वह चुपचाप यह पतंग बनाने का काम छत पर ही करता रहता था फिर उसे कहीं घर पर ही छुपा कर रख देता था ताकि हम घरवाले देखकर डांटे नही छुप छुप कर पतंग बनाकर रख देता था।
जब मकर संक्रांति पर्व के दिन शाम को छोटी बहन को छत पर ले जाकर पतंग उड़ाने के लिए डोरी पकड़ने बुलाता था और सारे पतंग को उड़ाकर देखता कहीं कोई पतंग में कोई डिफेक्ट रहता जो पतंग सही से नही उड़ती उसे सुधारते हुए छत पर नीले आसमान में पतंग उड़ाते हुए जब पतंग लहराते ऊँचाइयों में हवाओं के साथ उड़ती तो जीत हासिल की खुशियाँ जाहिर प्रगट करता था ।
उसके बाद छोटी बहन हम सभी को छत पर से आवाज देकर बुलाती आओ मिलकर भाई की पतंग उड़ाने का बेहतरीन नजारा देखने के लिए ऊपर छत में आ जाओ
हम सभी छत पर आकर भाई की पतंग उड़ाने का तरीका देखते हुए और उसके पतंग बनाने की पूरी कहानी बतलाता तो हमे बेहद सचमुच ही बहुत ख़ुशी मिलती थी।
वो मकर संक्रांति पर्व की यादगार पतंग उड़ाने की मजेदार बातें कुछ सुकून देती फिर लगता कि किसी भी पर्व को आसानी से अपने ढंग से एक दूसरे के साथ परिवार वालों के साथ मनाया जा सकता है।
जब भाई की लहराती हुई पतंग उड़ाने की कला को हम सभी स्तब्ध होकर देखते ही रह जाते थे आसमान में उड़ती हुई पतंग मानो कह रही हो *वो उड़ चली मेरी ख्वाहिशों की पतंग उडी चली * जब ऊँचाइयों में पतंग उड़ती तो हम ताली बजाते हुए ख़ुशी का इजहार करते थे
असली ख़ुशी सभी परिवार वालों के साथ में ही मिलती है।
***राधैय राधैय जय श्री कृष्णा ***
*** श्रीमती शशिकला व्यास ***
#* भोपाल मध्यप्रदेश *#

Language: Hindi
686 Views
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