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19 Nov 2017 · 1 min read

वो आज भी इस बात से बेखबर है

वो आज भी इस बात से बेखबर है
मेरी तन्हा राहों के वो हमसफ़र है
शहर में जल रही आग की कहाँ फ़िक्र है
आब की तलाश में भटक रहा पूरा शहर है

उनकी तलाश में हम भी रहगुज़र है
अब बची ज़िन्दगी बस एक पहर है
उनकी यादों के बस इतना कहर है
राख हो रही ज़िन्दगी उनका शहर है

तब्बसुम है उनकी ख़लिश में शहर है
अश्कों में डूबा आज पूरा शहर है
लगता है ये मजनुओं का शहर में
आज ज़हीर के हाथ में देखा ज़हर है

भूपेंद्र रावत
5।11।2017

Language: Hindi
1 Like · 331 Views
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