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12 Jan 2019 · 1 min read

वो अपने घुंघराले जुल्फों में उलझते रहे

वो अपने घुंघराले जुल्फों में उलझते रहे
और हम उन्हें जी भर भर के देखते रहे

उनका गुस्सा बरसा इस कदर की, हम
सावन की फुहार समझ कर झेलते रहे

फ़िदा हूँ इस तरह कि कह नहीं सकता
वो धिक्कारते रहे और हम मचलते रहे

बहुतों ने बताया प्यार तेरे बस की नहीं
फिर भी उनकी तस्वीर देख बहकते रहे

दिल बहुत मनाया कुछ कहना ही नहीं
‘राही’ अपने अंदाज में शायरी करते रहे

? रवि कुमार सैनी ‘राही’

1 Like · 219 Views
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