वोट की अभिलाषा
वोट की अभिलाषा
चाह नही मैं रूपये पैसो के बल पर बिका जाऊँ,
चाह नही मैं गाड़ी बंगला की चाह में अपना जी ललचाऊँ।
चाह नही मैं दल विशेष पर अपना मत लुटाऊ।
चाह नही मैं व्यक्ति विशेष पर अपना ठप्पा लगा जाऊँ।
चाह नही मैं किसी डर से मतदान करने जाऊँ,
चाह नही मैं किसी की बातों में आकर अपना वोट दे आऊँ।
हे आनन्द दाता प्रभु मुझे इतनी समझ तो देना।
जो स्वहित का त्याग और देश हित, परहित, सर्वधर्म हित और जग हित का काम करे ऐसे नेता को अपना अमूल्य वोट की छाप दे आऊँ।।।।।।
रचनाकार गायत्री सोनू जैन
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